लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करना विधायिका की मूल जिम्मेदारी: बिरला

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गुवाहाटी। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सोमवार को असम विधान सभा, गुवाहाटी में 8वें राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (भारत क्षेत्र) सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस मौके पर बिरला ने कहा कि विधायिका की मूल जिम्मेदारी लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं को पूरा करना है। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि समाज के आकांक्षी वर्गों की जरूरतों को मद्देनज़र रखते हुए गहन बहस और चर्चा के बाद कानून बनाए जाएं।

लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में युवाओं और महिलाओं की सक्रिय भागीदारी का आह्वान करते हुए बिरला ने कहा कि पंचायत से लेकर संसद तक लोकतांत्रिक संस्थाओं को युवाओं और महिलाओं को नीति निर्माण के केंद्र में रखना चाहिए। यह कार्यपालिका की अधिक जवाबदेही सुनिश्चित करेगा।

इस संबंध में, बिरला ने लोगों को संवैधानिक मूल्यों से अवगत कराने में ‘युवा संसद’ और ‘KNOW YOUR CONSTITUTION’ जैसी पहलों की सराहना की। बिरला ने आगे कहा कि युवाओं की ऊर्जा, क्षमता, आत्मविश्वास, तकनीकी ज्ञान और नवाचार कौशल से लोकतंत्र मजबूत और इसीलिए प्रशासन को पारदर्शी और जवाबदेह बनाने के लिए युवाओं के विचारों और विज़न का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि सांसदों को समाज के आकांक्षी वर्गों की भावनाओं को आवाज देनी चाहिए और उनके कल्याण के मुद्दों पर विधायिकाओं के पटल पर बहस करनी चाहिए।

बिरला ने बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर और महात्मा ज्योतिराव फुले का उल्लेख करते हुए कहा कि हमारी नीतियां और कार्यक्रम संविधान के मनिषिओं द्वारा निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में होने चाहियें । प्रधानमंत्री के शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचे और अन्य क्षेत्रों पर विचारों और कार्यवाही को इस दिशा में उल्लेखनीय कदम मानते हुए, बिरला ने जन केंद्रित नीति निर्माण के लिए जनप्रतिनिधियों द्वारा सक्रिय भागीदारी और चर्चा का आह्वान किया।

भारत के मजबूत और जीवंत लोकतंत्र का उल्लेख करते हुए बिरला ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र अन्य लोकतांत्रिक देशों के लिए एक मार्गदर्शक है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (सीपीए) दुनिया में लोकतांत्रिक संस्थानों को मजबूत करने और लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए काम कर रहा है। असम के पूर्व नेताओं को याद करते हुए बिरला ने कहा कि उनके द्वारा उठाए गए कदमों ने राज्य में विकास को सुनिश्चित किया है।

इस अवसर पर असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि लोकतंत्र और लोकतांत्रिक मूल्य भारतीय जीवन शैली के अभिन्न अंग हैं। प्राचीन काल से भारत में लोकतांत्रिक संस्थाएं फल-फूल रही हैं। यह जिक्र करते हुए कि भारत और असम में राजनीति लोकतांत्रिक सिद्धांतों के इर्द-गिर्द घूमती है, सरमा ने कहा कि पिछले आठ दशकों के दौरान असम विधान सभा ने कई ऐतिहासिक बहसें देखी हैं, जिनमे कई महान हस्तियां ने लोकतंत्र के इस मंदिर को सुशोभित किया हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आधुनिक लोकतंत्र में जनता अपने चुने हुए प्रतिनिधियों से बहुत उम्मीद करती है। लोग चाहते हैं कि सांसद उनकी आवाज बनें और उनके जीवन को प्रभावित करने वाले बुनियादी मुद्दों के समाधान के साथ-साथ उनके सपनों और आकांक्षाओं को पूरा करने की जिम्मेदारी निभाएं । बिरला ने विचार व्यक्त किया कि सदन में वाद-विवाद में सक्रिय भागीदारी के माध्यम से विधायक न केवल विधेयकों के विभिन्न पहलुओं पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं बल्कि साथ ही लोगों के कल्याण और विकास को गति देकर लोकतांत्रिक अधिकारों को बनाए रखने के चैंपियन बन सकते हैं।

असम विधान सभा के अध्यक्ष बिस्वजीत दैमारी ने सम्मेलन में अपनी गरिमामयी उपस्थिति के लिए लोकसभा अध्यक्ष को धन्यवाद दिया। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सम्मेलन असम विधान सभा को अपनी लोकतांत्रिक जिम्मेदारियों को और अधिक प्रभावी तरीके से निर्वहन करने के लिए प्रोत्साहन देगा।

सम्मेलन का समापन सत्र मंगलवार को होगा। असम के राज्यपाल, प्रो. जगदीश मुखी, लोकसभा अध्यक्ष, ओम बिरला और अन्य गणमान्य व्यक्ति इस अवसर पर उपस्थित होंगे।
इस अवसर पर राज्य सभा के उपसभापति, राज्य सभाहरिवंश; असम विधान सभा के अध्यक्ष बिस्वजीत दैमारी; सीपीए कार्यवाहक अध्यक्ष इयान लिडेल-ग्रिंगर, राज्य विधानसभाओं के पीठासीन अधिकारी और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।