लॉकडाउन में फंसे कारोबारियों के हजारों करोड़ रुपये

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मुंबई। कोरोनावायरस की रोकथाम के लिए लगे लॉकडाउन ने कारोबार की कमर तोड़कर रख दी है। अर्थव्यवस्था को दोबारा पटरी पर लाने के लिए सरकार ने शर्तों के साथ कारोबार शुरू कराया तो कारोबारियों की परेशानी का पिटारा भी खुलने लगा। लॉकडाउन के कारण व्यापारियों का लाखों करोड़ रुपये का माल फंस गया, जिसमें से काफी माल खराब हो गया और थोड़े माल का सीजन ही खत्म हो गया। इससे कारोबारियों के बीच बड़े विवाद पैदा हो गए हैं, जिनको निपटाने की कोशिश में कारोबारी संस्थाएं जुटी हैं।

मुंबई के दादर, कालपादेवी, कोलाबा, गोरेगांव, ठाणे और भिवंडी के सैकड़ों कारोबारी रोजाना हजारों करोड़ रुपये का माल देश भर में भेजते हैं। इसी तरह ढेरों उत्पाद बाकी राज्यों से यहां भी आते हैं। विवाद की सबसे गहरी जड़ यह है कि कारोबारियों ने माल भेज दिया था, जो लॉकडाउन होने के कारण व्यापारियों को नहीं मिला। जो माल पहुंचा था वह भी बाजार और दुकानें बंद होने के कारण ज्यों का त्यों पड़ा रहा।

माल भेजने वाले कारोबारियों का कहना है कि माल समय पर भेजा था इसलिए व्यापारियों को भुगतान करना होगा। लेकिन व्यापारियों की दलील है कि माल मिला ही नहीं और अब उसका सीजन भी खत्म हो गया है तो भुगतान किस बात का।

रेडीमेड कपड़ों के थोक कारोबारी संदीप दोषी ने बताया कि लॉकडाउन के पहले ही कोलकाता, कानपुर, बेंगलूरु के दर्जन भर से ज्यादा व्यापारियों के ऑर्डर का माल भेज दिया गया था। लेकिन लॉकडाउन लागू होने के कारण व्यापारी कपड़े बेच नहीं पाए। अब पिछला पैसा फंस गया है क्योंकि ज्यादातर व्यापारी फोन ही नहीं उठा रहे हैं।

धारावी के लतीफ भाई ने बताया कि ईद से पहले खास तरह के परिधान (कफ्तान) तैयार किए जानते हैं, जिन्हें उनसे खरीदकर व्यापारी खाड़ी देशों को भेज देते हैं। भुगतान एक महीने बाद मिलता है। लतीफ भाई का कहना है कि इस बार एक पाई भी नहीं मिली, जिससे वह बरबादी के कगार पर हैं। उद्योग संस्थाओं का अनुमान है कि मुंबई के कपड़ा कारोबारियों के करीब 500 करोड़ रुपये इसी तरह से फंस चुके हैं।

व्यापार में उधार और एडवांस दोनों चलते हैं, जिससे देश भर के कारोबारियों और दुकानदारों के लिए विकट स्थिति हो गई है। मुंबई के कारोबारियों और व्यापार संघों का कहना है कि एक्सेसरीज बनाने वाले उद्योग का करीब 100 करोड़ रुपये, मोबाइल और इलेक्ट्रानिक्स कारोबारियों का 5,000 करोड़ रुपये और चमड़ा कारोबारियों का 1,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का माल फंसा है। खाद्य और पेय कारोबारियों का भी 100 करोड़ रुपये से ऊपर का माल अटका है।

रत्नाभूषण उद्योग 10,000 करोड़ रुपये से अधिक माल फंसने की बात कह रहा है। कारोबारियों का कहना है कि असली आंकड़े तो लॉकडाउन पूरी तरह खुलने के बाद सामने आएंगे। इन आंकड़ों की तपिश सभी झेल रहे हैं। कमोबेश सभी का कहना है कि लॉकडाउन ने उन्हें बरबाद कर दिया।

दादर बाजार में कारोबार को पटरी पर लौटाने की कोशिश में जुटे विशाल गुप्ता कहते हैं कि तीन महीने के लॉकडाउन ने उन्हें तीन साल पीछे धकेल दिया। पास ही में स्टोर चलाने वाले मनोज उपाध्याय ने बताया कि उनके कारोबार का पीक सीजन लॉकडाउन की भेंट चढ़ गया। शादियों और ईद की बिक्री नहीं हुई और कर्मचारियों का खर्च भी जेब से निकालना पड़ा।

मजदूरों और कर्मचारियों की कमी के बीच काम कर रहे उद्योगपति राजीव सिंगल ने चौतरफा मार पडऩे की बात कही। उन्होंने कहा, ‘माल के बंडल खोलने का मौका भी नहीं मिला। दुकानें खोलने नहीं दी गईं, जिससे सारा माल वैसे ही पड़ रहा और काफी माल खराब हो गया। शादी-ब्याह के सीजन और ईद के ऑर्डर पूरे करने के लिए जनवरी से ही तैयारी शुरू हो जाती है। अब शादी का सीजन भी खत्म हो गया और ईद भी चली गई। इसलिए माल बेकार ही जाने वाला है।’

चूंकि त्योहारी सीजन की तैयारी जनवरी से ही शुरू हो जाती है, इसलिए कई कारोबारी 10 लाख करोड़ रुपये का माल फंसने की बात कह रहे हैं। इतनी बड़ी कीमत के उत्पाद फंसने के कारण कारोबारियों में विवाद होना तय है। इंडियन मर्चेंट चैंबर्स ऑफ मॉमर्स के अध्यक्ष आशीष वैद्य ने कहा कि संकट के समय विवाद होना लाजिमी है, लेकिन कंपनियों से आपस में सुलह-समझौता करने का अनुरोध किया जा रहा है।