रेपो रेट 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रहने की उम्मीद, आरबीआई 8 दिसंबर को करेगा घोषणा

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नई दिल्ली। MPC Meeting: रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया इस सप्ताह अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा (monetary policy review) में रेपो रेट पर यथास्थिति बनाए रख सकता है। विशेषज्ञों ने मुद्रास्फीति के नियंत्रण में होने और आर्थिक वृद्धि की रफ्तार संतोषजनक होने के आधार पर यह अनुमान जताया है।

केंद्रीय बैंक ने अपनी पिछली चार द्विमासिक समीक्षाओं में नीतिगत रेपो रेट को अपरिवर्तित रखा है। आरबीआई ने आखिरी बार फरवरी में रेपो रेट को बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत किया था।

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक छह दिसंबर को शुरू होगी। मौद्रिक नीति के संदर्भ में सर्वोच्च नीति नियामक एमपीसी के ब्याज दर संबंधी फैसले की घोषणा आठ दिसंबर को की जाएगी।

एमपीसी में तीन बाहरी और तीन अंदरूनी सदस्य हैं। बाहरी सदस्यों के तौर पर शशांक भिडे, आशिमा गोयल और जयंत आर वर्मा हैं जबकि अंदरूनी सदस्यों में गवर्नर शक्तिकांत दास, कार्यकारी निदेशक राजीव रंजन और डिप्टी गवर्नर माइकल देवव्रत पात्रा शामिल हैं।

मई 2022 में हुई रेपो रेट में बढ़ोतरी: रूस-यूक्रेन युद्ध और वैश्विक सप्लाई चेन में व्यवधानों की वजह से महंगाई बढ़ने के कारण मई 2022 में रेपो दर में बढ़ोतरी का दौर शुरू हुआ था, जो फरवरी, 2023 तक चलता रहा। हालांकि अप्रैल, 2023 की द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा से रेपो रेट स्थिर बनी हुई है।

पुराना रुख कायम: बैंक आफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि केंद्रीय बैंक इस बार नीतिगत ब्याज दरों के साथ अपने मौद्रिक रुख पर भी पुराना रुख कायम रख सकता है। सितंबर तिमाही के दौरान 7.6 प्रतिशत की विकास दर यह भरोसा देती है कि अर्थव्यवस्था पटरी पर है।

वित्तपोषण जरूरी: पिछले कुछ महीनों में कम मुद्रास्फीति के आंकड़े भी इस बात की गुंजाइश देते हैं कि दरें बढ़ाने की कोई जरूरत नहीं है। नोमुरा में अर्थशास्त्री (भारत) आरोदीप नंदी को भी उम्मीद है कि एमपीसी अपनी आगामी बैठक में दरें नहीं बढ़ाने का सर्वसम्मत फैसला करेगी। धानुका समूह के चेयरमैन आरजी अग्रवाल ने भी ऐसी ही उम्मीद जताते हुए कहा कि भारतीय कृषि को तकनीकी प्रगति को अपनाना चाहिए और इसके लिए किफायती वित्तपोषण जरूरी है