रिलायंस सोलर इनर्जी के क्षेत्र में 75,000 करोड़ का निवेश करेगा

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नई दिल्ली। रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआइएल) के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने भारत सोलर इनर्जी के क्षेत्र में पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनाने की महत्वाकांक्षी योजना व 75,000 करोड़ रुपये के निवेश का एलान किया। उसी दिन अमेरिका ने चीन की एक कंपनी से सोलर पैनल आयात पर रोक लगाने की भी घोषणा की है। इन दोनो घटनाओं में सीधे तौर पर कोई संबंध नहीं है। लेकिन इससे पता चलता है कि भारत और अमेरिका सोलर ऊर्जा के क्षेत्र में चीन के वर्चस्व को अब चुनौती दे रहे हैं।

रिलायंस इंडस्ट्रीज की सोलर एनर्जी से जुड़ी तकनीकी जानकारी रखने वाले सूत्रों ने बताया कि गुजरात के जामनगर में 5,000 एकड़ में स्थापित होने वाला धीरुभाई अंबानी ग्रीन एनर्जी गीगा कंप्लैक्स चीन के सबसे बड़े सोलर उपकरण प्लांट के बराबर या उससे भी बड़ा होगा। यहां सोलर एनर्जी क्षेत्र के सारे उपकरण व उनके कच्चे माल का भी निर्माण किया जाएगा। सोलर सेल्स में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल पॉलीसिलिकान का निर्माण भी होगा।

पॉलीसिलिकान का निर्माण बेहद उच्चस्तरीय तकनीक से होता है जिससे जुड़े प्लांट की स्थापना के लिए रिलायंस दुनिया की कुछ दिग्गज कंपनियों से बात कर ही है। सूत्रों का कहना है कि कच्चा माल समस्या नहीं है बल्कि पॉलीसिलिकान के निर्माण करने वाली बेहद उच्चस्तरीय व अत्याधुनिक तकनीक वाली फैक्ट्री की स्थापना चुनौती है। साथ ही सोलर इनर्जी के ढांचे में खास किस्म के प्लास्टिक का भी इस्तेमाल होता है जो रिलायंस के कच्चे माल से ही हो सकेगा।

सूत्रों ने बताया कि ग्रीन एनर्जी से जुड़े कई तरह के कच्चे माल रिलायंस इंडस्ट्रीज की मौजूदा फैक्ट्री से ही मिलेंगे। एक ही कंप्लेक्स में कच्चे माल से लेकर तैयार माल तक बनने से पूरी लागत को चीन से स्पर्धा में मदद मिलेगी।

भारत वर्ष 2030 तक सौर ऊर्जा से 2.80 लाख मेगावाट बिजली बनाने का लक्ष्य ले कर चल रहा है। पिछले साल तक भारत ने सौर ऊर्जा में इस्तेमाल होने वाले सोलर सेल्स, सोलर पैनल और सोलर मॉडयूल्स का 80 फीसद चीन से आयात किया है। शुक्रवार को क्रिसिल ने एक रिपोर्ट में कहा है कि भारत में सोलर मॉड्यूल्स की कीमत बढ़ने से प्लांट और उससे उत्पादित बिजली की लागत बढ़ रही है। अभी भी भारत में बनाने वाले सोलर उपकरण चीन के मुकाबले 40 फीसद तक महंगे हैं। साथ ही सोलर सेल बनाने में इस्तेमाल होने वाले पोलीसिलिकॉन मटेरियल के 64 फीसद वैश्विक बाजार पर भी चीन का कब्जा है।

रिलायंस की इस योजना की जानकारी रखने वाले अधिकारियों ने बताया कि पूरा एंड टू एंड एप्रोच होगा यानी सोलर एनर्जी सेक्टर में कच्चे माल से तैयार माल तक बनाने का खाका है। असल में आरआइएल के चेयरमैन की घोषणा सोलर ऊर्जा के क्षेत्र में चीन के वर्चस्व को खत्म करने की दिशा में सबसे अहम कदम साबित हो सकता है। सोलर ऊर्जा निर्माण के लिए जरूरी उपकरण अभी चीन भारत के मुकाबले 30 से 40 फीसद सस्ती देता है लेकिन रिलायंस की पूरी योजना का उद्देश्य यह है कि अगल तीन वर्षों में चीन से भी सस्ते व टिकाऊ उपकरण भारत में तैयार होने लगें।