रामगंज मंडी को जिला बनाने की आस अब तक है अधूरी

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  • रामलुभाया समिति के पास पहले से ही है विचाराधीन
  • मदन दिलावर ने भी मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर की मांग

-कृष्ण बलदेव हाडा-
राजस्थान में जिलों का पुनर्गठन कर नए जिले बनाने के लिए गठित राम लुभाया समिति के राजस्थान में मात्र आधा दर्जन नए जिले बनाने की सिफारिश के विपरीत मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ऐतिहासिक कदम उठाते हुए एक साथ 19 नए जिले बनाने की घोषणा कर बड़ा कदम उठाया और जनता-जनप्रतिनिधियों की मुराद पूरी की। लेकिन कुछ इलाके ऐसे रह गए हैं, जो इतने बड़े पैमाने पर नए जिले गठित किए जाने की घोषणा के बावजूद निर्धारित मानकों पर खरे उतरते हुए भी जिला बन पाने से वंचित रह गए।

कोटा संभाग में कोटा जिले का रामगंजमंडी नगर भी इसमें शामिल है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के 19 नए जिले बनाने की घोषणा के बावजूद राज्य के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र भिवाड़ी को अलवर से अलग जिला बनाने की मांग वर्षो से लंबित थी और राम लुभाया समिति के सामने भी यह मांग पुरजोर तरीके से रखी गई थी।

इसी तरह शेखावाटी के सुजानगढ़ को जिला बनाने की घोषणा नहीं की गई, जबकि वहां तो आमजन-व्यापारियों से लेकर जनप्रतिनिधियों की यह काफी पुरानी मांग रही है। नए जिलों की घोषणा के बाद सुजानगढ़ में तो इतना जबरदस्त रोष था कि व्यापारी ने कई दिन तक बाजार बंद रखकर विरोध प्रकट किया।

हालांकि बहरोड़ को नया जिला बना कर काफी हद तक भरपाई कर दी गई। कोटा जिले के रामगंज मंडी की बात की जाये तो कोटा जिला ही नही बल्कि राजस्थान का महत्वपूर्ण खनन क्षेत्र, व्यापारिक केंद्र होने के बावजूद जिला बनने से वंचित रह गया। मोटे तौर पर इसके लिये यहां के जनप्रतिनिधियों की नाकामी को बड़ा कारण माना जा रहा है जो नए जिलों के गठन की घोषणा के बाद अब जुबानी जमाखर्च कर रहे हैं। लेकिन इनमें से किसी में भी राम लुभाया समिति के समक्ष रामगंजमंडी का पक्ष मजबूती से नहीं रखा।

इन तमाम सारी राजनीतिक क्रिया-प्रतिक्रिया के बीच मौलिक सत्य यह है कि रामगंज मंडी कई मायनों में अलग जिला बनाये जाने का हकदार था। करीब साढे तीन दशक पहले कोटा से अलग कर बारां जिला इसलिए बनाया गया था क्योंकि भौगोलिक दृष्टि से कोटा से छीपाबड़ोद और कस्बा थाना तक जिला कोटा जिला काफी बड़ा था। हालांकि व्यापारिक-औद्योगिक नजरों से बारां की कोई खास पहचान नहीं थी, लेकिन इस मायने में रामगंज मंडी की अहमियत अलग है।

पिछले कई दशकों से रेलमार्ग से देश की राजनीतिक राजधानी दिल्ली और आर्थिक राजधानी मुंबई से जुड़े रामगंज मंडी नगर की आबादी एक लाख से भी अधिक है और इस मायने में वह कोटा जिले का सबसे बड़ा नगर है। प्रदेश के प्रमुख व्यापारिक-कृषि विपणन केंद्र में शामिल रामगंजमंडी, राजस्थान या भारत का ही नहीं बल्कि धनिया की खरीद-फरोख्त के मामले में एशिया की सबसे बड़ी मंडी है, जहां से देश की लगभग प्रमुख सभी प्रमुख मसाला निर्माता कंपनियों के प्रतिनिधि किसानों-व्यापारियों से सीधे मसालों की खरीद-फरोख्त करते हैं।

जानी-मानी मसाला निर्माता कंपनी एमडीएच के संस्थापक धर्मपाल गुलाटी तो खुद कई मौकों पर धनिये की खरीददारी के लिए यहां आ चुके हैं। धनिए के अच्छे भाव मिलने की उम्मीद में कोटा जिले के ही नहीं बल्कि आसपास के जिलों एवं मध्य प्रदेश के सीमावर्ती जिलों से भी किसान अपनी उपज बेचने यहां आते रहे।

सुप्रसिध्द कोटा स्टोन के उत्पादन के मामले में भी रामगंज मंडी क्षेत्र एक अग्रणी केंद्र है। रामगंज मंडी सहित सुकेत, सातलखेड़ी, कुंभकोट, लक्ष्मीपुरा, सहरावदा, जुल्मी, चेचट, मोडक आदि में सैकड़ों की संख्या में कोटा स्टोन की खदानें हैं, जिनमें से प्रतिदिन सैकड़ों ट्रक कोटा स्टोन निकलता है। उत्कृष्ट कोटि के कोटा स्टोन का दुनिया के कई देशों में निर्यात किया जाता है।

खासतौर से अरब देशों में कोटा स्टोन की जबरदस्त मांग है, जिसे देखते हुए ही रेलवे ने माल गाड़ियों से धनिये सहित कोटा स्टोन की सप्लाई के लिए कोटा-रामगंज मंडी के बीच रावठां रोड स्टेशन पर शुष्क बंदरगाह स्थापित किया हुआ है। रामगंज मंडी के धनिया के प्रमुख विपणन केंद्र और कोटा स्टोन के प्रमुख उत्पादन केंद्र होने के कारण जीएसटी, मंडी टैक्स, रॉयल्टी से सालाना लगभग 165 करोड रुपए की आय होती है, जो किसी भी छोटे जिले के राजस्व के बराबर है।

रामगंजमंडी प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र भी है, जहां बिड़ला ग्रुप की मंगलम सीमेंट फैक्ट्री के अलावा कोटा स्टोन की एक बड़ी कंपनी एएसआई भी कार्यरत है, जिसमें प्रतिदिन वेतन भोगियों सहित हजारों कामगार रोजगार पाते हैं। रामगंजमंडी में 450 बीघा जमीन में औद्योगिक कॉरिडोर बनाया जाना भी प्रस्तावित है।

कोटा जिले से अलग कर रामगंज मंडी को नए जिले के रूप में स्थापित करने के संबंध में सुझाव दिया जा रहा है कि रामगंज मंडी में कोटा जिले की सांगोद सहित झालावाड़ जिले के भवानीमंड़ी, चौमेहला, पिड़ावा,सुनेल और चित्तौड़गढ़ जिले के रावतभाटा को शामिल कर नया जिला बनाया जा सकता है।

हालांकि रावतभाटा प्रशासनिक दृष्टि से कोटा जिले में शामिल किए जाने की मांग पिछले काफी समय से लंबित है। रामगंज मंडी विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के वर्तमान विधायक और पूर्व में मंत्री रह चुके प्रदेश भाजपा महामंत्री मदन दिलावर ने भी पिछले दिनों मुख्यमंत्री को एक पत्र भेजकर रामगंज मंडी को जिला बनाए जाने की मांग को उठाया था और कहा था कि नए जिला बनाए जाने के संबंध में बनाई गई समिति के समक्ष यह मामला पहले से विचाराधीन है।

अगर रामगंज मंडी को नया जिला बनाया जाता है तो इससे प्रशासनिक दृष्टि से हजारों लोग लाभान्वित होंगे, जिन्हें अभी जिला मुख्यालय से दूरी अधिक होने के कारण व्यावहारिक रूप से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा रामगंज मंडी क्षेत्र के विकास के नए मार्ग भी जिला बनने से प्रशस्त होंगे।

प्रशासनिक स्तर पर जिले का पुनर्गठन होगा तो इसका लाभ यहां की स्थानीय आबादी और ग्रामीण क्षेत्र के किसानों को निश्चित रूप से मिलेगा। राज्य सरकार को अंतिम फैसला लेने से पहले रामगंजमंडी को नया जिला बनाने के बारे में गंभीरता से विचार करना चाहिए।