राजस्थान कंज्यूमर फ्रेण्डली स्टेट घोषित, सरकार ने गिनाई उपलब्धियाँ 

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जयपुर। राज्य सरकार द्वारा उपभोक्ताओं के सार्वकालिक संरक्षण के लिये महती-प्रभावी पहल की गयी है, जो रेखांकित करने योग्य है। राजस्थान भारत के उन तीन अग्रणी राज्यों में है; जहां, उपभोक्ता संरक्षण हेतु उपभोक्ता मामले विभाग का पृथक गठन कर उपभोक्ता आन्दोलन का नये सिरे से शंखनाद किया गया है।

उपभोक्ताओं के सार्वकालिक कल्याण, हित चिन्तन, संरक्षण, संवद्र्धन, प्रोत्साहन, प्रोन्नति एवं उपभोक्ताओं की समस्याओं को एक छत के नीचे सुने जाने एवं निराकरण के लिए राज्य मुख्यालय पर उपभोक्ता भवन की घोषणा करते हुए उसकी क्रियान्विति के लिए राजधानी मुख्यालय पर भूमि का आवंटन किया गया है।

यही नही, उपभोक्ता विषयक गतिविधियों एवं उल्लेखनीय कार्याे के लिए 15 मार्च, 2017 को  राष्ट्रीय स्तर पर ‘कंज्यूमर फ्रेण्डली स्टेट’  का अवार्ड दिया गया है।

महाविद्यालयों में उपभोक्ता क्लब की स्थापनाः-
नवाचार के अन्तर्गत माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों की तर्ज पर उपभोक्ता आन्दोलन को मजबूत करने के लिए राज्य के चुनिन्दा 33 महाविद्यालयों में उपभोक्ता क्लबों का गठन किया गया है। इन क्लबो को राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस (24 दिसम्बर, 2017) सक्रिय किया जाना है। उपभोक्ता शिक्षा के माध्यम से उपभोक्ता संरक्षण को एक व्यापक दिशा मिलेगी।

राजस्थान उपभोक्ता कल्याण कोषः
सीमित सहायता योजना-विभाग द्वारा मान्यता प्राप्त स्वैच्छिक उपभोक्ता संगठनों को आर्थिक सहायता देने के लिये राजस्थान उपभोक्ता कल्याण कोष ‘सीमित सहायता योजना’ जारी की है।

इस योजना के अन्तर्गत स्वैच्छिक उपभोक्ता संगठन उपभोक्ता संरक्षण गतिविधियों के लिए जिला स्तर पर ही वित्तीय सहायता प्राप्त कर सकेंगे। जिला स्तर पर जिला कलक्टर को कोष से सहायता प्रदान करने के लिए अधिकृत किया गया है।

राज्य उपभोक्ता संरक्षण परिषद् का पुनर्गठन एवं मनोनयनः-
राज्य स्तरीय उपभोक्ता संरक्षण परिषद् के पुनर्गठन किये जाने की अधिसूचना 04 जनवरी, 2014 को जारी की जा चुकी है। राज्य परिषद् के पुनर्गठन के पश्चात् पहली बैठक 06 अगस्त, 2014 को आयोजित की जाकर उपभोक्ता के हितों में व्यापक निर्णय लिये गये हैं। राज्य उपभोक्ता संरक्षण परिषद् में गैर सरकारी सदस्यों का मनोनयन भी किया जा चुका है।

जिला उपभोक्ता संरक्षण परिषदों का पुनर्गठनः-
राज्य के सभी जिलों में जिला उपभोक्ता संरक्षण परिषदें 1987 से ही कार्यरत थी; तथापि अधिनियम में संशोधन के आलोक में 31 अक्टूबर, 2017 को नवीन अधिसूचना जारी कर दी गई है।