मोदी सरकार का मिलर्स पर दबाव, चावल और तुअर दाल की कीमतें घटाने के निर्देश

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नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार ने घरेलू बाजार में गैर-बासमती चावल के दाम पर अंकुश लगाने के लिए प्रयास शुरू कर दिए हैं। सरकार ने चावल उद्योग संघों को दामों को न्यूनतम स्तर पर लाने का निर्देश दिया है। इससे चावल की कीमत कम होने के आसार हैं। चावल की कीमतों के साथ दाल के भी दाम घटेंगे। पिछले दो वर्ष में चावल की कीमतों में 12 प्रतिशत इजाफा हुआ है।

इसे देखते हुए खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग के सचिव संजीव चोपड़ा ने गैर-बासमती चावल के प्रसंस्करण उद्योग के प्रमुख प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर दामों को उचित स्तर पर लाने के उपाय करने के लिए कहा। उन्होंने उद्योग संघों को परामर्श दिया कि वे अपने सदस्यों के साथ बैठक कर खुदरा कीमत तत्काल प्रभाव से कम करना सुनिश्चित करें। अच्छी फसल एवं निर्यात पर प्रतिबंध के बावजूद चावल के दाम बढ़ने की वजह पर भी चर्चा की और मुनाफाखोरी पर सख्ती से निपटने पर जोर दिया।

भारतीय खाद्य निगम (FCI) ने चावल प्रसंस्करण उद्योग को जानकारी दी कि अच्छी गुणवत्ता वाले चावल का पर्याप्त भंडार है। इसे खुला बाजार बिक्री योजना (OMSS) के जरिए 29 रुपए प्रति किलोग्राम के आरक्षित दाम पर बेचा जा रहा। खुला बाजार बिक्री योजना के तहत व्यापारी एफसीआई से चावल लेकर उपभोक्ताओं को उचित लाभ के अंतर पर बेच सकते हैं।

सितंबर 2022 और जुलाई 2023 में टूटी किस्म और गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंधित होने के बाद से भारत एशिया और अफ्रीका में अपने रणनीतिक भागीदारों को चावल की आपूर्ति कर रहा है। यह प्रतिबंध दामों को नियंत्रित करने के लिए लगाया गया है। हाल के महीनों में केंद्र सरकार ने सिंगापुर, नेपाल, मलेशिया और फिलीपींस समेत 14 प्रमुख एशियाई और अफ्रीकी देशों को 2.77 मिलियन टन (एमटी) गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात को भी मंजूरी दी है।

तुअर दाल भी सस्ती होगी: दाल की उपलब्धता में सुधार और मांग में कम होने से फरवरी तक तुअर दाल के दाम में 18 प्रतिशत से अधिक की कमी हेगी। नवंबर में तुअर दाल 160 रुपए प्रति किलोग्राम बिक रहा था। अब दाम घटने से 130 रुपए प्रति किलोग्राम भाव हो जाएगा। उत्पादन में कमी के कारण पिछले साल से दाम बढ़े हुए हैं।

18 दिसंबर को दाम में 2.5 रुपए की गिरावट आई है। दरअसल, मोजाम्बिक, कनाडा, रूस और ऑस्ट्रेलिया से दाल का आयात हो रहा है। सरकार ने आठ दिसंबर को ही न्यूनतम आयात कीमतों और बंदरगाह प्रतिबंधों को भी हटाया है, ताकि दाम में गिरावट आ सके।