महिलाओं को इंटरकोर्स की बजाय आउटरकोर्स की तलाश, जानिए क्यों

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ऑर्गैज्म हासिल करने के लिए महिलाएं आजकल इंटरकोर्स की बजाए आउटरकोर्स का सहारा ले रही हैं। ये आउटरकोर्स है क्या? जानते है इस रिपोर्ट में-…सेक्शुअल इंटरकोर्स के साथ-साथ आउटरकोर्स भी सेक्स लाइफ को एक्साइटिंग बनाने में अहम रोल प्ले करता है।

इंडियाना यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर सेक्शुअल हेल्थ प्रमोशन में एक रिसर्च की गई जिसके नतीजे हैरान करने वाले थे। स्टडी में शामिल ज्यादातर महिलाओं को आउटरकोर्स क्या है ये पता नहीं था लेकिन करीब 18.4 प्रतिशत प्रतिभागियों ने इच्छा जतायी कि उनके लिए सिर्फ इंटरकोर्स से ऑर्गैज्म हासिल करना आसान नहीं था और उन्हें कुछ और की जरूरत थी।

इस स्टडी में 18 से 94 साल के बीच की 1 हजार 55 महिलाओं को शामिल किया गया था और महिलाओं को ऑर्गैज्म हासिल करने के लिए जिस कुछ और की जरूरत होती है उसे ही नाम दिया गया आउटरकोर्स। इसका मतलब है नॉन-पेनिट्रेटिव सेक्शुअल ऐक्टिविटी। तो क्या आउटरकोर्स फोरप्ले का ही फैंसी नाम है?

बात फोरप्ले की करें तो ऐक्ट शुरू होने से पहले फीमेल पार्टनर को कडल करना यानी गले लगाना, किस करना और टीज करना जैसी ऐक्टिविटीज शामिल होती है। इसका मतलब है कि फोरप्ले इंटरकोर्स तक ले जाने का माध्यम है। लेकिन आउटरकोर्स बिना इंटरकोर्स किए ही अकेले ही काफी है ऑर्गैज्म हासिल करने के लिए। उदाहरण के लिए- अगर किसी महिला को क्लिटरल स्टीमुलेशन या वाइब्रेटर यूज से ऑर्गैज्म हासिल हो जाए तो यह आउटरकोर्स है।

कई बार पुरुषों को भी बिना पेनिट्रेटिव सेक्स के ऑर्गैज्म हासिल हो जाता है। स्टडी में शामिल करीब 36 प्रतिशत महिलाओं ने बताया कि उन्हें इंटरकोर्स के दौरान सिर्फ तभी ऑर्गैज्म हासिल होता है जब क्लिटरल स्टीमुलेशन हो। हालांकि सभी महिलाएं इस बात को पार्टनर तक पहुंचा नहीं पातीं।