भारत में 1.40 करोड़ लोग स्किजोफ्रेनिया बीमारी से ग्रसित: डॉ. अग्रवाल

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कोटा। World schizophrenia day: अग्रवाल न्यूरो साईकेट्री सेंटर कोटा द्वारा शनिवार को स्किजोफ्रेनिया मनोरोग की जानकारी, लक्षण, कारण व जन जागरण करने के लिए एक संगोष्ठी का आयोजन अस्पताल परिसर में मुख्य अतिथि महामंडलेश्वर हेमा सरस्वती के आतिथ्य में हुई। डॉ. आरसी गुप्ता ने इस अवसर पर स्किजोफ्रेनिया दिवस आयोजन का महत्व बताया।

रोटेरियन रामगोपाल अग्रवाल ने कहा कि उनके अग्रज जाने-माने मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. एमएल अग्रवाल जो आरसी हंटर अवार्ड से दो बार विजेता हैं, मनोरोगियों के लिए देव तुल्य हैं। इस वर्ष रोटरी इंटरनेशनल द्वारा भी मनोरोगो पर विशेष आयोजन वर्ष पर्यंत किए जाएंगे। डॉ. एमएल अग्रवाल ने कहा कि प्रतिवर्ष स्किजोफ्रेनिया रोग के कारण व निवारण पर हम संगोष्ठी व जनचेतना कार्यक्रम आयोजित कर लोगों आम रोगी परिजनों समाजसेवियों को रोग के बारे में जानकारी देते रहे हैं।

पावर पॉइंट के माध्यम से डॉ. अग्रवाल ने कहा कि भारत में जनसंख्या का 1% प्रतिशत लगभग एक करोड़ 40 लाख लोग इस बीमारी से ग्रसित हैं। यह बीमारी युवा वयस्कों की बीमारी के रूप में भी जानी जाती है। पुरुषों में सामान्यतः 18 से 30 वर्ष की उम्र की महिलाओं में 16 से 24 वर्ष की आयु के दौरान यह प्रथम बार दृष्टिगोचर होती है। इस रोग से कोई भी जाति धर्म लिंग का व्यक्ति प्रभावित हो सकता है। रोग के प्रारंभिक लक्षण जैसे कामकाज में रुचि ना होना, एकाग्रता में कमी आना, कानों में आवाजे आना इसके प्रमुख लक्षण हैं।

इस रोग का प्राचीन ग्रंथों व आयुर्वेदिक विभाग के ग्रंथों में उल्लेख मिलता है। रोग की तीव्रता के लिए रोगियों की पारिवारिक इतिहास बचपन में हुई क्षति पूर्ति, विकास, गर्भावस्था में प्रसूति के दौरान तकलीफ होने आदि की जानकारी करके एक मनोरोग विशेषज्ञ इसे पहचान कर परामर्श देता है, इलाज करता है। इस रोग में दिमाग में केमिकल परिवर्तन होते हैं। हार्मोन परिवर्तन होते हैं। डोपामिन नामक हार्मोन के परिवर्तन से यह रोग होना पाया गया है।

उन्होंने बताया कि आजकल नवीनतम एंटी साइकॉटिक दवाइयां, इंजेक्शन एवं आधुनिक तकनीक के साथ ईसीटी व आधुनिक उपलब्ध मैग्नेटिक थेरेपी से इलाज आसान हो गया है। रोगी ठीक होकर अपने पुराने काम पर लौट जाता है, पुनर्वासित हो जाता है। रोगी का समय पर इलाज कराएं, उसे स्नेह दें।

कार्यक्रम की मुख्य अतिथि हेमा सरस्वती ने कहा कि रोगी व्यक्ति तन मन धन से दुखी है। इसके लिए उसे ईश्वर उपासना के साथ ही चिकित्सकों से समय पर इलाज कराना चाहिए। डॉ. अग्रवाल जैसे व्यक्ति समाज के लिए एक उपलब्धि हैं। आप लगातार अच्छे कार्य कर समाज में खास करके मनोरोगियों के लिए देवता के सदृश्य हैं। संगोष्ठी के दौरान प्रश्नोत्तरी का आयोजन यज्ञदत्त हाड़ा ने प्रवक्ता सुधींद्र गौड़ के सहयोग से किया। विजेता एसके मेहता, शोभाराम, शुभम व अनीता को अतिथियों ने पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया।