भारत में जनवरी से मार्च के बीच विदेशी निवेश दो साल के पीक पर

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मुंबई। इस साल जनवरी से मार्च के बीच विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) दो साल के बाद तिमाही आधार पर सबसे अधिक निवेश करने की तरफ बढ़ रहे हैं। बीजेपी के नेतृत्व में केंद्र में अगली सरकार बनने की उम्मीद पर उन्होंने इधर भारत में निवेश बढ़ाया है। अमेरिका में ब्याज दरों में अनुमान से कम बढ़ोतरी के कारण इमर्जिंग मार्केट्स में भी विदेशी निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ी है और इसका फायदा भी भारत को मिल रहा है।

भारत में अधिकतर विदेशी निवेश एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) के रास्ते हो रहा है। इस निवेश को टिकाऊ नहीं माना जाता, लेकिन स्टॉक एक्सचेंज पर विदेशी निवेशकों इधर बल्क डील भी कर रहे हैं। एक्सपर्ट्स ने बताया कि एक्टिव मनी भी भारतीय बाजार में आ रही है। उनका कहना है कि लोकसभा चुनाव तक के दो महीने के दौरान विदेशी निवेशकों की तरफ से यहां और पैसा आ सकता है। अगर ऐसा हुआ तो सेंसेक्स और निफ्टी नए शिखर पर पहुंच सकते हैं।

एफपीआई ने जनवरी के बाद से अब तक 30,500 करोड़ रुपये भारत में लगाए हैं। यह जनवरी-मार्च 2017 के 44,200 करोड़ के बाद सबसे अधिक विदेशी निवेश है। डोएचे इक्विटीज इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर और हेड प्रतीक गुप्ता ने कहा, ‘इस साल एशिया के दूसरे देशों की तुलना में भारतीय शेयर बाजार का रिटर्न कम रहा था और इधर बीजेपी के फिर से केंद्र की सत्ता में आने की संभावना बढ़ी है। इन वजहों से भारतीय बाजार में तेजी आई है।

उधर, अमेरिका में ब्याज दरों में बढ़ोतरी रुकने का फायदा कई देशों के शेयर बाजार को हुआ है। इस वजह से इमर्जिंग मार्केट्स में विदेशी निवेश बढ़ रहा है।’ गुप्ता ने यह भी बताया कि पुलवामा में आतंकवादी घटना के बाद भारत के पाकिस्तान में जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों पर हवाई हमले के बाद सबसे पहले एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स ने भारत में निवेश बढ़ाना शुरू किया था। गुप्ता ने कहा कि उसके बाद बड़ी बल्क डील के जरिये काफी विदेशी रकम भारतीय बाजार में आई है।

सेंसेक्स और निफ्टी हाल ही में 6 महीने के शिखर पर पहुंचे थे। इस साल इनमें डॉलर टर्म में 4.8 पर्सेंट की तेजी आई है, जबकि चीन और हॉन्गकॉन्ग के शेयर बाजार में इस दौरान 7-24 पर्सेंट की उछाल दिखी है। MSCI इंडिया इंडेक्स इस साल अब तक 4.2 पर्सेंट चढ़ा है और MSCI EM इंडेक्स में इस बीच 8.9 पर्सेंट की उछाल दिखी है।