भक्तों को बीमारी से बचाने के लिए खुद बीमार पड़ते हैं भगवान जगन्नाथ

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श्री पिप्पलेश्वर महादेव मंदिर में श्री भक्तमाल कथा

कोटा। श्री पिप्पलेश्वर महादेव मंदिर के षष्ठम प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव (पाटोत्सव) के तहत श्री भक्तमाल कथा में शुक्रवार वृंदावन धाम के प्रख्यात संत चिन्मय दास महाराज ने कहा कि भक्तों को बीमारी से बचाने के लिए भगवान जगन्नाथ खुद बीमार पड़ते हैं।

ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ के एक भक्त रहते थे, जिनका नाम था माधव दास। माधव यहां अकेले ही रहते थे और उन्हें संसार से कोई लेना-देना नहीं था। वे अकेले बैठे-बैठे प्रभु जगन्नाथ का भजन किया करते थे।

एक बार माधव दास अतिसार (उलटी-दस्त) से पीड़ित हो गए । वे इस रोग के कारण बहुत दुर्बल हो गए थे, वे उठने-बैठने के लिए भी समर्थ नहीं थे और किसी भी अन्य व्यक्ति से मदद नहीं लेते थे। कोई कहे महाराज जी हम आपकी सेवा कर दें, तो वे कहते थे कि नहीं, मेरे तो एक जगन्नाथ ही हैं, वही मेरी रक्षा करेंगे। ऐसी दशा में जब उनका रोग बढ़ गया तो वे उठने-बैठने में पूरी तरह से असमर्थ हो गए। तब श्री जगन्नाथ जी स्वयं सेवक बनकर इनके घर पहुंचे और माधव दास को कहा कि हम आपकी सेवा कर दें।

जब माधव दास को होश आया तब उन्होंने तुरंत पहचान लिया कि यह तो मेरे प्रभु ही हैं। एक दिन माधव दास ने प्रभु से पूछ ही लिया, “प्रभु आप तो त्रिभुवन के मालिक हो, स्वामी हो, आप मेरी सेवा कर रहे हो, आप चाहते तो मेरा ये रोग भी तो दूर कर सकते थे। रोग दूर कर देते तो ये सब करना ही नहीं पड़ता।

भक्त की बातें सुनकर प्रभु ने कहा, ”देखो माधव! मुझसे भक्तों का कष्ट नहीं सहा जाता। इसी कारण तुम्हारी सेवा मैंने स्वयं की। जो प्रारब्ध होता है उसे तो भोगना ही पड़ता है। अगर उसे काटोगे तो इस जन्म में नहीं, लेकिन उसे भोगने के लिए फिर तुम्हें अगला जन्म लेना पड़ेगा और मैं नहीं चाहता कि मेरे भक्त को जरा से प्रारब्ध के कारण फिर अगला जन्म लेना पड़े। इसीलिए मैंने तुम्हारी सेवा की, लेकिन अगर फिर भी तुम कह रहे हो तो भक्त की बात भी नहीं टाल सकता।

प्रभु जगन्नाथ अपने भक्तों के सहायक बन उन्हें प्रारब्ध के दुखों से, कष्टों से सहज ही पार कर देते हैं। प्रभु ने अपने भक्त माधव से कहा, अब तुम्हारे प्रारब्ध में 15 दिन का रोग और बचा है। इसलिए 15 दिन का रोग तू मुझे दे दे। जिसके बाद प्रभु जगन्नाथ ने अपने भक्त माधव दास के बचे हुए 15 दिन का रोग स्वयं ले लिया। यही वजह है कि भगवान जगन्नाथ आज भी बीमार होते हैं।

अंत में समिति अध्यक्ष जागेश्वर सिंह चौहान,बांकेबिहार मंदिर से राजेन्द्र खण्डेलवाल व गिरधरलाल बडेरा, आशीष झंवर, महावीर नायक, जीएल वडेरा, निशांत सिक्का, कुलदीप माहेश्वरी ,कोषाध्यक्ष गजेंद्र गुप्ता, प्रवक्ता जोगिंद्र पाल, गौरी शंकर, ओम राठौड़ व प्रवक्ता जोगेंद्र पाल ने महाआरती मे भाग लिया।