बढ़ती उम्र में अल्जाइमर्स रोग से पीड़ितों की तादाद में बेतहाशा वृद्धि

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-सुधींद्र गौड़
कोटा। वरिष्ठ मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. एमएल अग्रवाल ने बताया कि आमतौर पर 60 वर्ष के बाद व्यक्ति की याददाश्त कम होने लगती है, यानी बौद्धिक शक्ति क्षीण होने लगती है। अक्सर यह मान लिया जाता है कि यह बढ़ती उम्र के कारण है, जिसकी वजह से चिकित्सक से परामर्श-उपचार नहीं लिया जाता। ऐसे कई रोग अल्जाइमर्स जैसी बीमारी के कारण हो सकते हैं।

डॉ. अग्रवाल मंगलवार को वरिष्ठ जन कल्याण समिति कोटा एवं अग्रवाल न्यूरो साइकेट्री सेंटर जवाहर नगर के संयुक्त तत्वावधान में अल्जाइमर्स विषय पर आयोजित संगोष्ठी को सम्बोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि समय रहते लक्षण पहचान कर इलाज़ कराने से मरीज़ और परिजन आर्थिक तथा सामाजिक परेशानी से बच सकते हैं। इसलिए किसी व्यक्ति को याददाश्त कम होना, तर्क शक्ति क्षीण होना, बौद्धिकता में कमी आना, मोटर स्किल्स, स्विमिंग को भूलना, स्पेशियल ओरिएंटेशन का कम होना आदि में से यदि दो से अधिक लक्षण पाए जाए तो डाक्टर की सलाह जरूर लेना चाहिए।

उन्होंने कहा कि अल्जाइमर्स पीड़ित व्यक्ति के निदान हेतु उसका कम्प्लीट इतिहास, शारीरिक मानसिक परीक्षण, मनोवैज्ञानिक टेस्ट, पैथोलॉजिकल टेस्ट आदि द्वारा पता लगाकर इलाज किया जा सकता है। इसके उपरांत पीड़ित को जितना शीघ्र इलाज प्रारम्भ किया जाए तो क्षणिक मेमोरी लॉस पर दवाइया प्रारम्भ करने से इस रोग से बचा जा सकता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के मुताबिक 2050 तक विश्व में वरिष्ठ जनो की संख्या 2 अरब से अधिक हो जाएगी । इसी कारण अल्जाइमर्स के मरीज़ो की संख्या में वृद्धि होगी ।
संगोष्ठी के प्रारम्भ में वरिष्ठ जन कल्याण समिति के अध्यक्ष हज़ारी लाल गुप्ता ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। रिटा. सत्र न्यायाधीश गजेंद्र कुमार गौड़ ने इस प्रकार के आयोजनों को समाज के लिए आवश्यक बताया।