बाजारों की मांग बढ़ने और निर्यात से चावल में आएगा उबाल

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मुंबई। पिछले कुछ महीनों में नियमित वार्षिक चक्र के हिस्से के बतौर चावल के निर्यात में कमी आई है लेकिन पश्चिम एशियाई देशों के साथ-साथ अन्य नये बाजारों की मांग बढ़ने के कारण वर्ष 2019 में निर्यात की खेप में वृद्धि होने के आसार हैं। एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।

अमेरिका स्थित व्यापार एवं वित्त कंपनी ड्रिप कैपिटल के सह-संस्थापक और सह-मुख्य कार्याधिकारी पुष्कर मुकेश ने कहा, “हमारे आंकड़ों के मुताबिक, भारत ने चालू तिमाही में 18.3 करोड़ डॉलर की निर्यात खेप (शिपमेंट्स) भेजी है। मध्य पूर्व देशों की वार्षिक मौसमी मांग के बढ़ने और चीन को अधिक मात्रा में गैर-बासमती चावल का भारत से निर्यात बढ़ने से भारतीय चावल के निर्यातकों को आने वाले समय में कारोबार बढ़ने की उम्मीद है।’

हालांकि, उन्होंने कहा कि निर्यातकों को अगर आवश्यक रिण तक पहुंच नहीं होती है तो उन्हें इस बढ़े हुए अवसर का लाभ देखना संभव नहीं होगा। कुल मिलाकर चावल निर्यात मात्रा में सुधार हुआ है तथा सितंबर के अंत तक निर्यात (शिपमेंट) का मूल्य 6.87 अरब डॉलर आंका गया जो निर्यात मूल्य वर्ष 2017 की इसी अवधि में 5.8 अरब अमेरिकी डॉलर ही था।

रिपोर्ट में कहा गया है कि इस प्रकार, घबराने की कोई जरूरत नहीं है,क्योंकि वर्ष 2019 में मांग और निर्यात मात्रा में वृद्धि जारी रहने की उम्मीद है। भारतीय चावल के साथ नए बाजार भी खुल रहे हैं जहां चीन को एक महत्वपूर्ण अवसर के रूप में माना जा रहा है। इसमें कहा गया है कि हालांकि, निर्यातकों को चीनी व्यापार से लंबी अवधि में लाभ मिलना शुरू होगा।

इसके अलावा, यह कहा गया है कि इस वर्ष अप्रैल-सितंबर में गिरावट के बावजूद बांग्लादेश के कुल निर्यात वृद्धि हुई है जो वर्ष-दर-वर्ष बढ़कर 9.17 करोड़ डालर हो गया है। इसमें कहा गया है कि मांग में भारी वृद्धि के आधार पर भारतीय निर्यातकों के लिए संभावित बाजार कतर, यमन, इस्राइल, फिलीपींस, केन्या और यूक्रेन जैसे छह अन्य देश भी हो सकते हैं।