शेयर बाजार में कोहराम, निवेशकों के 2.2 लाख करोड़ डूबे

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नई दिल्ली। शुक्रवार को शेयर बाजार में हाहाकार मच गया। सेंसेक्स 689.60 अंकों या 1.89 फीसदी की भारी गिरावट के साथ 35,742.07 पर बंद हुआ, वहीं निफ्टी 197.70 अंकों या 1.81 फीसदी की गिरावट के साथ 10,754. पर बंद हुआ। कारोबार की शुरुआत लाल निशान में हुई। कुछ दिनों से बढ़िया प्रदर्शन कर रहे बाजार में आखिर अचानक इतनी बड़ी गिरावट कैसे दर्ज की गई? इसके पीछे क्या कारण रहे? आइए बाजार की इस गिरावट को समझते हैं।

भारी मुनाफावसूली
काफी दिनों से बढ़िया प्रदर्शन कर रहे शेयर बाजार में शुक्रवार को जोरदार मुनाफावसूली हुई। वैश्विक अनिश्चितता के बीच विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) क्रिसमस की खुशियां मनाने से पहले कोई जोखिम नहीं लेना चाह रहे हैं। कई दिनों तक शानदार प्रदर्शन के बाद बाजार मध्यम स्तर पर वापस लौटा है। उन शेयरों में ज्यादा गिरावट देखी गई है, जिनमें पिछले कुछ दिनों में काफी तेजी रही है, जो मुनाफावसूली का संकेत है।

कमजोर वैश्विक संकेत
वैश्विक अर्थव्यवस्था के लड़खड़ाने के संकेत के बावजूद यूएस फेडरल रिजर्व द्वारा अगले साल इंट्रेस्ट रेट में बढ़ोतरी का रुख दर्शाने के बाद से ही वैश्विक शेयर बाजार दबाव में है। अमेरिकी सरकार के शटडाउन के खतरे के बाद आर्थिक परिदृश्य को लेकर निवेशकों में घबराहट और बढ़ गई है।

गुरुवार को डाउ जोंस में 464 अंक या 1.99 फीसदी गिरकर 22,859 पर बंद हुआ, तो एसऐंडपी 500 कुल 40 अंक या 1.60 फीसदी गिरकर बंद हुआ, वहीं नैस्डाक 108 अंक या 1.63 फीसदी की गिरावट के साथ 6,528 पर बंद हुआ।

दबाव में रुपया
शुक्रवार को डॉलर के मुकाबले रुपया बेहद दवाब में देखा गया। दोपहर के कारोबार में रुपया 56 पैसे की गिरावट के साथ 70.26 पर कारोबार कर रहा था।

एनर्जी स्टॉक्स
पिछले कुछ दिनों के भीतर वैश्विक बाजारों में कच्चे तेल की कीमतों में तेजी से एनर्जी कंपनियों के शेयर दबाव में हैं। ओपेक द्वारा कीमतों में कटौती का संकेत देने के बाद शुक्रवार को कच्चे तेल की कीमत में गिरावट देखी गई, हालांकि परिदृश्य अभी भी विकट बना हुआ है।

किसानों की कर्ज माफी
कुछ विश्लेषकों का कहना है कि राज्य दर राज्य लगातार किसानों की कर्जमाफी से क्रेडिट मार्केट और सरकारी बैंकों की वित्तीय सेहत पर पड़ने वाले संभावित प्रतिकूल असर को लेकर बाजार में तनाव का माहौल है।

साथ ही, कुछ विश्लेषकों का यह भी कहना है कि बाजार में नकदी बढ़ने से अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति का दबाव पैदा हो सकता है। क्रिसमस के त्योहार से पहले हुई इस गिरावट की वजह से निवेशकों को 2.2 लाख करोड़ का नुकसान हुआ है। इसी के साथ बीएसई पर सूचीबद्ध कंपनियों का संयुक्त बाजार पूंजीकरण (एमकैप) 145.56 लाख करोड़ रुपये से घटकर 143.30 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया।