फॉर्म GSTR-9 ऑनलाइन, अब भर सकते हैं GST का ऐनुअल रिटर्न

1660

नई दिल्ली। सरकार ने वित्त वर्ष 2017-18 का सालाना जीएसटी रिटर्न भरने के लिए ऑनलाइन फेसिलिटी ऐक्टिवेट कर दी है। इसके लिए फॉर्म GSTR-9 ऑनलाइन कर दिया गया है, जिसका ट्रेड-इंडस्ट्री को बेसब्री से इंतजार था। जीएसटी लागू होने के बाद के इनपुट टैक्स क्रेडिट हासिल करने के लिए भरा जाने वाला यह सबसे जरूरी फॉर्म है।

इसे भरने की आखिरी तारीख 31 दिसंबर 2018 थी, लेकिन आखिरी दिनों तक यह फसिलिटी ऑनलाइन नहीं होने के चलते इसकी डेट छह महीने आगे बढ़ानी पड़ी थी।जीएसटीएन के एक अधिकारी ने बताया कि फॉर्म जीएसटीआर-9 बुधवार से ऐक्टिवेट कर दिया गया है और यह कॉमन पोर्टल पर फाइलिंग के लिए उपलब्ध है।

इसके तहत जुलाई 2017 से 31 मार्च 2018 की डिटेल्स भरी जा सकती हैं। GSTR-9, GSTR-9A और ऑडिट फॉर्म GSTR-9C भरने की आखिरी तारीख 30 जून 2019 है, लेकिन ये फॉर्म वही टैक्सपेयर भर पाएंगे, जिन्होंने इस अवधि के सभी महीनों या तिमाहियों के GSTR-1 और GSTR-3B भर दिए हों।

एनुअल रिटर्न के तहत 31 मार्च 2018 तक के इनपुट टैक्स क्रेडिट का आकलन संबंधित महीनों के भरे गए GSTR-1 और ऑटोपॉपुलेटेट GSTR-2A के आधार पर किया जाएगा। जिन लोगों ने 29 जनवरी 2019 तक संबंधित महीने का GSTR-1 भर दिया है, उनका GSTR-2A अपडेशन 1 मार्च 2019 तक हो गया है। अगर किसी सप्लायर को उसके क्रेडिट मिसिंग दिख रहे हैं तो उसे अगले अपडेशन तक इंतजार करना होगा।

जानकारों का कहना है कि एनुअल रिटर्न रिवाइज नहीं किया जा सकता है, ऐसे में ज्यादातर डीलर आखिरी समय तक इंतजार करेंगे। हालांकि अभी ऑनलाइन फसिलिटी शुरू कर की गई है, लेकिन सरकार टैक्सपेयर्स की सुविधा के लिए GSTR-9 का एक ऑफलाइन टूल भी लेकर आएगी, जिसे ऑफलाइन भर कर बाद में ऑनलाइन किया जा सकता है।

सभी व्यापारियों को भरना है
जहां एनुअल रिटर्न सभी व्यापारियों को भरना है, चाहे उनका टर्नओवर कितना भी हो, वहीं जिन ट्रेडर्स का टर्नओवर 2 करोड़ रुपये से ज्यादा है, उन्हें अपने बिजनस का सीए से ऑडिट कराकर ऑडिट रिपोर्ट भी फाइल करनी होगी, जो GSTR-9C के रूप में जाएगी।

एनुअल रिटर्न फाइलिंग के बाद संबंधित महीनों की सप्लाई में कोई मिसिंग इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं लिया जा सकेगा। हाल तक लाखों कारोबारियों ने पहले वित्त वर्ष के किसी महीने का रिटर्न ही नहीं भरा था, ऐसे में उनकी ओर से सालाना रिटर्न भरे जाने की संभावना भी खत्म हो गई थी।

इससे उनके सप्लायर्स और रिसीवर्स के क्रेडिट में भी दिक्कतें आने की संभावना थी। दिसंबर में लेटफीस माफ होने के बाद से रिटर्न फाइलिंग में तेजी आई है और उम्मीद की जा रही है कि अब ज्यादा संख्या में लोग इसका फायदा उठा सकेंगे।