नैराश्य बिना अपना ‘बेस्ट’ दें, सफलता मिलना तय : अंश वालिया

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सपने अपने बुनें-साकार करने की राह खुद चुनें, मिस्टर राजस्थान का कोटा के कोचिंग छात्रों को संदेशा

-कृष्ण बलदेव हाडा –
कोटा। “आत्मोसर्ग या आत्मसमर्पण कर देना किसी भी समस्या का समाधान नहीं है बल्कि अन्य विकल्पों की संभावनाओं को तलाशते हुए बड़े धैर्य एवं सकारात्मक सोच के साथ निरंतर आगे बढ़ते रहना ही किसी न किसी सफलता को हासिल कर लेने का यथेष्ट मार्ग है।”

मिस्टर इंडिया बनने के सपने को साकार करने की तैयारियों में जुटे मिस्टर राजस्थान-2023 अंश वालिया का यह संदेश राजस्थान की कोचिंग सिटी कहे जाने वाले कोटा के उन हजारों कोचिंग छात्रों के लिए हैं जिनके मन में अपने मौजूदा लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाने को लेकर विचलित हो जाने से उपजा नैराश्य है।

कोटा के एक निजी स्कूल में आयोजित मोटिवेशन कार्यक्रम में भाग लेने के लिए आए अंश वालिया ने शनिवार को बातचीत करते हुए कहा कि कोटा में हर साल किसी लक्ष्य को लेकर कई हजार छात्र कोचिंग के लिए आते हैं, लेकिन वे डॉक्टर-इंजीनियर बनने के अपने सपने को ही अंतिम नहीं समझे।

क्योंकि अवसर हजारों हैं और एक लक्ष्य को हासिल न कर पाने को विफलता नहीं मानकर सफलता के नए आयाम छूने के लिए धैर्य और मनोयोग के साथ प्रयत्न जारी रखें तो सफलता मिलना तो तय है। कोई भी म़काम अंतिम नहीं होता। जीवन की डगर लंबी है जिस पर धैर्य रखते हुए अपनी आंतरिक सद्इच्छाओं की पूर्ति के लिए निरंतर प्रयास रखेंगे तो वांछित म़काम तो मिलेगा ही।

अपना खुद का उदाहरण देते हुए अंश वालिया ने कहा कि-” मुझे मेरे माता-पिता डॉक्टर बनाना चाहते थे जो हर आदर्श माता-पिता का बुना हुआ सपना होता है जिसे वे अपनी संतान में साकार होता देखना चाहते हैं।

लेकिन मेरा अपना पेशन फैशन था और मैं एक्टिंग, मॉडलिंग और फैशन के क्षेत्र में आना चाहता था तो मैंने अपने मन की बात सुनी और इसी क्षेत्र में आने के लिए आगे कदम बढ़ाए और अपनी मनोइच्छा के अनुरूप गंभीरता से प्रयास करते हुए पूरे राजस्थान से आए करीब दो हजार प्रतिभागियों से आगे बढ़कर मिस्टर राजस्थान-2023 बनने का अपना सपना साकार किया।

अब लक्ष्य मिस्टर इंडिया बनने का है तो उसे हासिल करने के लिए सकारात्मक सोच के साथ आगे बढूंगा।” अंशु वालिया ने कोटा के कोचिंग छात्रों को सीख दी कि वे बिना किसी मानसिक दबाव के अपना लक्ष्य हासिल करने के लिए जी-जान से जुट जाएं। अपनी मेहनत में कोई कमी नहीं छोड़े, लेकिन आज असफलता को लेकर आशंकित ना हो। धैर्य का साथ कभी नहीं छोड़े।

अपने भीतर के कौशल को पहचाने और उसी के अनुरूप अपनी सारी क्षमताओं के साथ लक्ष्य को हासिल करने में जुटे रहे तो कौन सफल होने से रोक सकता है? कोटा में मेडिकल-इंजीनियरिंग संस्थानों में प्रवेश परीक्षाओं में सफलता का सपना लेकर कोचिंग करने आने वाले छात्रों को अंश वालिया ने कहा कि डॉक्टर-इंजीनियर बनना एक सपना हो सकता है।

लेकिन अगर नहीं बन पाये तो यहीं अवसर समाप्त नहीं हो जाते बल्कि सरकारी और निजी क्षेत्र दोनों में ही ऐसे बहुत से काम मौजूद हैं, जिन्हें हासिल करके छात्र आत्म संतुष्टि प्राप्त कर सकते हैं, जो सकारात्मक जीवन जीने के लिए बहुत ही आवश्यक है। जीवन में रास्ते बहुत हैं लेकिन जरूरत धैर्य रखकर लगन से अपना मनोवांछित करने और उसे सफलता के साथ हासिल करने की है।

मिस्टर वर्ल्ड रह चुके रोहित खंडेलवाल को रोल मॉडल मानने वाले अंश वालिया ने अपना खुद का उदाहरण देते हुए कहा कि वे महज 19 साल के हैं। अपने भाई का इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला दिलाने के बाद उन्हें डॉक्टर बनाने का सपना लिए उनके माता-पिता की इच्छा के विपरीत उन्होंने अपनी मन की बात सुनी।

फैशन, मॉडलिंग एक्टिंग के पेशे में कुछ कर गुजरने की कामनाओं के साथ अपनी शारीरिक संरचना और अभिव्यक्ति के कौशल को संवर्धित करने के लक्ष्य के साथ आगे बढ़े, तो अब वर्ष 2023 की प्रतियोगिता में दो हजार अन्य प्रतिभागियों को पछाड़कर मिस्टर राजस्थान चुने गए।

इससे जाहिर है कि हर सपने को पूरा किया जा सकता है। जरुरत इस बात की है कि लक्ष्य को सामने रखें और अपनी मेहनत में कमी नहीं छोड़े तो उसे हासिल करने में कहां बाधा आ सकती है?

अंश वालिया ने कहा कि आगे बढ़ने के लिए सबसे पहले हमें हमेशा अपने पर विश्वास के साथ सकारात्मक सोच रखना होगा। अपने कैरियर संघर्ष के दौरान उन्हें भी नकारात्मक का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने उसे अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया और हमेशा उसकी अनदेखी करके अपने लक्ष्य की तरफ आगे बढ़ते चले गए तो सफलता मिलती चली गई।

अभी बहुत कुछ हासिल करना है, जिसके लिए प्रयास जारी रहेंगे। अब अगला म़काम मिस्टर इंडिया बनने का है तो इसके लिए वे दिन-रात अपने स्तर पर तैयारी कर रहे हैं।

पत्रकार वार्ता में मौजूद अंश वालिया के पिता उमंग वालिया ने भी कहा कि आजकल अभिभावकों की अपने बच्चों से काफी आशा व आकांक्षाएं बढ़ रही हैं, जबकि माता-पिता को बच्चों की इच्छा को भी पूछना चाहिए उनसे बात कर उनकी इच्छाओं को समझकर उसके अनुरूप उन्हें अपना कैरियर चुनने का अवसर प्रदान करना चाहिए जो आज के समय की एक बड़ी आवश्यकता है।

वे भी अंश को डॉक्टर बनाना चाहते थे, लेकिन उसका मन तो एक्टिंग के क्षेत्र में आने का था तो मैंने उसकी भावनाओं को समझा और उसे वह करने दिया जो वो असल में अपने जीवन में करना चाहता है। यही सफलता का मूल मंत्र है।