निर्यात प्रतिबंध के बावजूद गेहूं की कीमतों में बढ़ोतरी से सरकार चिंतित

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नई दिल्ली। गेहूं की कीमत में हाल के दिनों में तेजी से बढ़ी है। लेकिन सरकार ने बुधवार को कहा कि गेहूं की कीमतों पर उसकी नजर है और यदि खुदरा बाजार में इसके दाम में असामान्य उछाल देखने को मिलता है, तो उस पर अंकुश के लिए कदम उठाए जाएंगे।

निर्यात प्रतिबंध के बावजूद गेहूं की कीमतों में बढ़ोतरी पर चिंता के बीच केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने कहा कि गेहूं और चावल के स्टॉक की स्थिति सहज है और सरकार की बफर आवश्यकताओं से काफी ऊपर है। उन्होंने कहा कि चावल की कीमतें स्थिर हैं।

मई में गेहूं पर प्रतिबंध लगाने के बाद खुदरा में गेहूं की कीमतों में सात प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है और अगर हम न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि को ध्यान में रखते हैं, तो मूल्य वृद्धि 4-5 प्रतिशत है। मई में, सरकार ने घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा देने और कीमतों को नियंत्रित करने के लिए गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था।

घरेलू उत्पादन में गिरावट और निजी पक्षों द्वारा आक्रामक खरीद के कारण विपणन वर्ष 2022-23 में सरकार की गेहूं खरीद 434.44 लाख टन से गिरकर 187.92 लाख टन रह गई। यह पूछे जाने पर कि क्या मंत्रालय गेहूं की कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए स्टॉक भंडारण सीमा और खुले बाजार में बिक्री योजना जैसे किसी और कदम पर विचार कर रहा है, चोपड़ा ने कहा, ‘अभी जो स्थिति है, उसके अलावा किसी अन्य उपाय की जरूरत नहीं है।

कीमतों में यदि असामान्य वृद्धि हुई, तो जाहिर है, हम कदम उठाएंगे।’ सितंबर में, कुछ पूर्वी राज्यों में बेमौसम बारिश और कम मानसून के मद्देनजर चावल के उत्पादन में अनुमानित गिरावट के कारण सरकार ने टूटे चावल के निर्यात पर भी प्रतिबंध लगा दिया था। सचिव ने बताया कि एक अंतर-मंत्रालयी समिति साप्ताहिक आधार पर आवश्यक वस्तुओं की कीमतों की निगरानी कर रही है।