नई दिल्ली। बीमा विनियामक इरडा ने कार और मोटरसाइकिल समेत सभी मोटर वाहनों की बीमा राशि की गणना के लिए वाहन की उम्र पर आधारित नया डेप्रिसिएशन फॉर्मूला पेश किया है। प्रोडक्ट स्ट्रक्चर फॉर मोटर ओन डैमेज कवर पर गठित वर्किंग ग्रुप ने इरडा को निजी कारों की बीमा राशि की गणना के लिए दो विकल्पों की सिफारिश की है। इस संबंध में इरडा ने ड्राफ्ट जारी कर दिया है।
वर्किंग ग्रुप की ओर से की गई सिफारिश के तहत निजी कारों पर पहले तीन साल तक बीमा कंपनियां समान वैल्यू की बीमा राशि देंगी। यह बीमा राशि कार की पहले दिन की ऑन रोड प्राइस के बराबर होगी, जिसमें इनवॉयस वैल्यू, रोड टैक्स और रजिस्ट्रेशन फीस और निर्माता की ओर से गाड़ी में लगाई गई एसेसरीज शामिल है। जो वाहन तीन साल से ज्यादा पुराने हैं उनके लिए सात साल तक डेप्रिसिएशन 40 से 60 फीसदी के मध्य रखी गई है।
सात साल के बाद बीमा कंपनी के साथ बीमा राशि को लेकर मोलभाव किया जा सकता है। मौजूद समय में बीमा कंपनियां कार की वैल्यू के लिए बेहद ही पेचीदा प्रक्रिया अपनाती हैं। नए ड्राफ्ट में डेप्रिसिएशन और बीमा राशि की गणना बेहद आसान की गई है।
कारों के लिए ऐसे होगी नई गणना
वाहन की उम्र | डेप्रिसिएशन |
पहले तीन साल तक | 00 फीसदी |
3 से चार साल तक | 40 फीसदी |
4 से पांच साल तक | 50 फीसदी |
5 से 6 साल तक | 55 फीसदी |
6 से 7 साल तक | 60 फीसदी |
दूसरे विकल्प में नई कार की मौजूदा कीमत का 95 फीसदी
वर्किंग ग्रुप की ओर से सुझाए गए दूसरे विकल्प के अनुसार, पहले 6 महीने तक कार की कीमत निर्माता की ओर से बनाए जा रहे उसी मॉडल के वाहन के 95 फीसदी तक मानी जाएगी। 6 महीने के बाद 7 साल तक कार की वैल्यू में 40 फीसदी तक कम की जा सकती है। इस विकल्प में भी 7 साल के बाद बीमा राशि या डेप्रिसिएशन रेट को लेकर बीमा कंपनी के साथ मोलभाव किया जा सकता है। इरडा ने ड्राफ्ट में दोपहिया वाहनों के लिए भी उम्र आधारित डेप्रिसिएशन पॉलिसी जारी की है।
दोपहिया वाहनों पर ऐसे होगी बीमा राशि की गणना
वाहन की उम्र | बीमा राशि |
6 महीने तक | 95% |
6 महीने से 1 साल तक | 90% |
1 साल से 2 साल तक | 80% |
2 से 3 साल तक | 70% |
3 से 4 साल तक | 60% |
4 से 5 साल तक | 50% |
5 से 6 साल तक | 45% |
6 से सात साल तक | 40% |
नोट: बीमा राशि का प्रतिशत वाहन की मौजूद कीमत के आधार पर होगा।
कॉमर्शियल वाहनों में बॉडी का भी मिलेगा बीमा
ड्राफ्ट में कॉमर्शियल वाहनों की बीमा राशि के लिए अलग प्रावधान किए गए हैं। ड्राफ्ट के अनुसार, बीमा कंपनियों को बीमा राशि में वाहन की करंट इनवॉयस वैल्यू और बॉडी बिल्डिंग को भी शामिल करना होगा। इसके अलावा वाहन निर्माता की ओर से लगाई गई अन्य एसेसरीज भी बीमा राशि में शामिल होगी।
बीमा कंपनियां इन सभी को मिलाकर वार्षिक आधार पर डेप्रिसिएशन कर सकती है और यह अधिकतम 75 फीसदी तक हो सकता है। ड्राफ्ट में कहा गया है कि पूरा नुकसान या चोरी की स्थिति में कंपनी को पूरी बीमा राशि देनी होगी। इस ड्राफ्ट पर इरडा ने सभी संबंधित पक्षों से 16 दिसंबर तक प्रतिक्रिया मांगी हैं।
सभी वाहनों के लिए भी अलग मॉडल
कार, वाहन और कॉमर्शियल वाहनों के लिए अलग-अलग मॉडल के अलावा वर्किंग ग्रुप ने सभी वाहनों के लिए भी स्टैंडर्ड मॉडल पेश किया है। इसके तहत बीमा राशि वाहन वाहन की 95 फीसदी से लेकर 30 फीसदी तक रखी गई है। यह बीमा राशि 6 महीने से लेकर 15 साल तक की वाहन की उम्र के आधार पर है।
सभी वाहनों के लिए स्टैंडर्ड गणना
वाहन की उम्र | बीमा राशि |
6 महीने तक | 95% |
6 महीने से 1 साल तक | 90% |
1 साल से 2 साल तक | 80% |
2 से 3 साल तक | 70% |
3 से 4 साल तक | 65% |
4 से 5 साल तक | 60% |
5 से 6 साल तक | 55% |
6 से सात साल तक | 50% |
7 से 10 साल तक | 45% |
10 से 15 साल तक | 40% |
15 साल के बाद | 30% |
नोट: बीमा राशि का प्रतिशत वाहन की मौजूद कीमत के आधार पर होगा।