देश में चीन-रूस से कहीं ज्यादा बदतर असहिष्णुता का माहौल

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    -कृष्ण बलदेव हाडा-
    कोटा। देश में राजनीतिक असहिष्णुता के मामले में मौजूदा दौर में माहौल रूस-चीन जैसे देशों से भी बदतर स्थिति में पहुंच गया है जहां विरोध के स्वरों को बर्दाश्त नहीं किया जा रहा। केंद्र सरकार के खिलाफ बोलने वाले लोगों की आवाज को दबाने के लिए केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है। यहां तक कि कार्यपालिका अपनी पूरी ताकत विरोध के स्वरों को दबाने में लगा दी जाती है और अब स्थिति यह है कि कार्यपालिका से भी आगे बढ़कर न्यायपालिका तक को विरोध के स्वरों को दबाने का मोहरा बनाया जा रहा है।

    कोटा में सोमवार को देहात कांग्रेस कमेटी की बैठक हुई जिसमें कांग्रेस जनों ने कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और केरल की वायनाड सीट से सांसद राहुल गांधी की लोकसभा की सदस्यता रद्द किए जाने के खिलाफ जमकर आवाज उठाई। बैठक के बाद कोटा जिले की सांगोद विधानसभा सीट से कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक और पूर्व में कैबिनेट मंत्री रहे भरत सिंह कुंदनपुर ने कहा कि आज की तारीख में देश में लोकतंत्र को मखौल बना करके रख दिया गया।

    लोकतांत्रिक मूल्यों का पूरी तरह से हनन हो रहा है। असहिष्णुता का माहौल इस हद तक जा पहुंचा है कि जो भी व्यक्ति या संस्था यहां तक की कोई प्रचार माध्यम केंद्र की असहिष्णु सरकार के खिलाफ एक शब्द भी बोलती है तो उसकी आवाज को दबाने के लिए भरसक प्रयास शुरू कर दिए जाते हैं और विरोध के स्वरों को कुचलने के लिए यह सरकार किसी भी हद तक जा रही है।

    श्री भरत सिंह ने कहा कि यह बड़ी आश्चर्य की बात है कि एक सरपंच को भी उसके पद से बिना उसका पक्ष जाने हटाया नहीं जाता, लेकिन इसके विपरीत अब तक केवल यही बात ही सामने आ रही थी कि देश की सबसे बड़ी पंचायत लोकसभा में विपक्ष की आवाज को उनकी माइक बंद करके दबाया जा रहा है, लेकिन अब यह स्पष्ट हो गया कि इस सबसे बड़ी पंचायत में मोहरा बने बैठे लोग कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके राहुल गांधी जैसे नेता की आवाज को कुचलने के लिए एक झटके में उनकी लोकसभा की सदस्यता को रद्द कर रहे है। हास्यास्पद पहलू यह है कि ऐसा करने से पहले देश की सबसे बड़ी पंचायत में राहुल गांधी का पक्ष भी जानने की कोई कोशिश नहीं की गई।

    श्री सिंह ने कहा कि एक तरफ राहुल गांधी केरल से लेकर कश्मीर तक भारत जोड़ने के लिए अपनी भारत जोड़ो यात्रा निकालकर हाल ही में लौटे हैं और देश के जन-जन को सांप्रदायिकता-सामाजिकता के लिहाज से जोड़ने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ इस देश की एकता-अखंडता को विभाजित करने की कोशिश कर रही सांप्रदायिक ताकतें उनकी संदेश को जनता तक पहुंचने से रोकने के लिए उनकी लोकसभा की सदस्यता तक को निरस्त कर करवा रही है।

    श्री सिंह ने कहा कि जिस दिन राहुल गांधी की लोकसभा की सदस्यता निरस्त की गई, वह 23 मार्च का दिवस था जब महान क्रांतिकारी भगत सिंह, राजगुरू, सुखदेव सिंह की शहादत की याद में पूरा देश शहीद दिवस मना रहा था और केंद्र के दबाव में लोकसभा में श्री गांधी की लोकसभा की सदस्यता को समाप्त करने का फैसला किया जा रहा है।

    श्री सिंह ने कहा कि कांग्रेस के संभाग स्तर के नेताओं को लोकसभा से कांग्रेस के नेता राहुल गांधी की सदस्यता समाप्त किए जाने के विरोध में एकजुट होकर कोटा को ही इसके जोरदार विरोध का केंद्र बनाना चाहिए, ताकि पूरे देश भर में एक अच्छा संदेश जा सके।