तीन महीने में बंद होंगी प्रदूषण फैलाने वाली इंडस्ट्रीज : NGT

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नई दिल्ली। देश के नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) को निर्देश दिया है कि देशभर के ‘critically polluted area’ (नाजुक रूप से प्रदूषित) और ‘severely polluted area’ (गंभीर रूप से प्रदूषित) क्षेत्रों में मौजूद प्रदूषण फैलाने वाली इंडस्ट्रीज को तीन महीने में बंद किया जाए। एनजीटी ने यह फैसला देते हुए कहा कि, आर्थिक विकास लोगों के स्वास्थ्य को दांव पर लगाकर नहीं किया जा सकता। इस फैसले से ‘सफेद और हरी’ यानी गैर-प्रदूषणकारी इंडस्ट्रीज के संचालन पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

प्रदूषणकारी इकाइयों की तीन कैटेगरी
2009-10 में CPCB और स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने मिलकर एक अध्ययन किया था, जिसमें देशभर के औद्योगिक क्ल्स्टर्स को इस आधार पर अलग-अलग कैटेगरी में रखा गया था कि वे कितने प्रदूषित हैं। अध्ययन में तीन कैटेगरी तय की गई थी- क्रिटीकली पॉल्यूटेड एरिया (नाजुक रूप से प्रदूषित), सिवेरली पॉल्यूटेड एरिया (गंभीर रूप से प्रदूषित) और अन्य प्रदूषित क्षेत्र।

प्रदूषण फैलाने वाली इकाइयों पर लग सकता है जुर्माना
एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल ने सीपीसीबी को निर्देश दिया है कि वह राज्य प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के साथ मिलकर आकलन करे कि इन क्षेत्रों में प्रदूषण फैलाने वाली इकाइयों ने पिछले पांच साल में कितना प्रदूषण फैलाया है और उसके लिए इनसे कितना मुआवजा लिया जाना चाहिए। इस मुआवजे में उस क्षेत्र को प्रदूषण मुक्त बनाने में लगने वाली राशि और लोगों को सेहत और पर्यावरण को हुए नुकसान को शामिल किया जाएगा।

5 नवंबर को होगी सुनवाई
ट्रिब्यूनल ने पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को निर्देश दिया कि परिस्थिति को सुधारने के लिए एक्शन प्लान पर काम करना शुरू करे। ट्रिब्यूनल ने CPCB से तीन महीने के अंदर अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है और मामले की सुनवाई के लिए 5 नवंबर तारीख तय की है। एनजीटी बेंच ने यह भी आदेश दिया कि इन ‘लाल’ और ‘नारंगी’ कैटेगरी वाली इकाइयों को तब तक विस्तार नहीं दिया जाएगा, जब तक इनसे प्रभावित क्षेत्रों का प्रदूषण स्तर कम करके एक सीमा के अंदर नहीं लाया जाता है या फिर उस क्षेत्र की सहन करने की क्षमता का आकलन नहीं कर लिया जाता है।