जयपुर। देश के मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए सिंगल एंट्रेंस एग्जाम, नीट का प्रावधान होने के बावजूद प्रवेश की पात्रता संबंधित संस्थान ही तय कर रहे हैं। इसके चलते परीक्षा व प्रवेश के लिए क्राइटेरिया अलग-अलग हो गया है। इस साल भी परीक्षा में फिजिक्स, केमिस्ट्री व बायोलॉजी (पीसीबी) के स्कोर के आधार पर ही मेरिट बनेगी। लेकिन संस्थानों ने अब भी अपने पात्रता नियम नहीं बदले हैं।

पहला मामला दिल्ली की गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी के एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया में सामने आया है। संस्थान ने पीसीबी के साथ बोर्ड के इंग्लिश के अंकों को भी प्रवेश में वेटेज दिया है। विशेषज्ञों के अनुसार नीट के पीछे मंशा थी कि सभी छात्र एक प्लेटफाॅर्म पर एग्जाम देकर दाखिला लें और क्षेत्रीय भाषा में पेपर देकर एम्स व जिपमेर में भी प्रवेश ले पाएं। लेकिन संस्थानों की पात्रता के कारण ऐसा हो पाना अब मुश्किल लग रहा है।

परीक्षा और एडमिशन की योग्यता में अंतर
शिक्षाविद देव शर्मा ने बताया कि यूनिवर्सिटी के मेडिकल संस्थानों की एमबीबीएस सीटों पर प्रवेश के लिए सामान्य वर्ग के लिए 12वीं बोर्ड परीक्षा में फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी/ बायो टेक्नोलॉजी व अंग्रेजी विषयों में एग्रीगेट 50% अंक होना जरूरी हैं। जबकि नीट- 2020 के एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया में अंग्रेजी विषय शामिल नहीं है।

फिर विवादों की ओर नीट
नीट को लेकर पहले भी कई विवाद उठे हैं। अधिकतम उम्र 25 साल तय करने के बाद मामला कोर्ट में चला गया था, वहीं एनआईओएस छात्रों की पात्रता को लेकर भी हंगामा खड़ा हुआ था। इस बार इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी के बाद अगर एम्स भी अपनी पुरानी पात्रता पर कायम रहता है तो क्षेत्रीय भाषा में पेपर देने वाले पिछड़ जाएंगे।

एम्स में बायोटेक्नोलॉजी नहीं
अब तक एम्स में यूजी में प्रवेश के लिए फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी और अंग्रेजी में एग्रीगेट 60% अंक जरूरी थे। अगर यह क्राइटेरिया नहीं बदला गया तो यहां भी नीट-मेरिट का अधिक फर्क नहीं पड़ने वाला है। ऐेसे में सिंगल एंट्रेंस एग्जाम पर ही सवाल खड़े हो जाएंगे। एम्स-एमबीबीएस क्राइटेरिया में बायो टेक्नोलॉजी शामिल नहीं है। बायोलॉजी ही शामिल है, जबकि नीट-2020 के क्राइटेरिया में बायोलॉजी के साथ बायो टेक्नोलॉजी का विकल्प भी शामिल है।