टैक्स बचाने में मां-बाप की लें सकते हैं मदद, जानिए कैसे

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नई दिल्ली। हर टैक्सपेयर चाहता है कि उस पर आयकर का बोझ कम से कम रहे। टैक्स के रूप में उसकी जेब से कम पैसा जाए, इसके लिए करदाता विभिन्न निवेश विकल्पों की मदद लेते हैं। टैक्स सेविंग करने में आपके माता-पिता भी आपकी मदद कर सकते हैं। 4 तरीके ऐसे हैं, जिनसे माता-पिता के माध्यम से टैक्स सेविंग की जा सकती है। आइए जानते हैं इनके बारे में-

ज्वाइंट में होम लोन
होम लोन लेने पर आयकर कानून के सेक्शन 24b के तहत होम लोन के ब्याज पेमेंट पर हर साल 2 लाख रुपये तक का डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है। वहीं प्रिंसिपल अमाउंट पर सेक्शन 80C के तहत साल में अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक का डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं। अगर टैक्सपेयर ने माता या पिता/मां-पिता के साथ जॉइंट में होम लोन लिया है तो कर्ज ले रहे व्यक्ति अलग-अलग रूप से इन टैक्स बेनेफिट का फायदा ले सकते हैं। हालांकि, इसमें इस बात का ध्यान रखें कि को-एप्लीकेंट तभी टैक्स छूट का फायदा ले सकता है, जब वह साथ में प्रॉपर्टी का मालिक भी हो। अगर दोनों साथ में एप्लीकेंट के साथ मालिक भी हैं, तभी वे टैक्स बेनेफिट अलग से ले सकते हैं।

हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम
व्यक्ति या HUF सेक्‍शन 80C के अंतर्गत मिलने वाले टैक्स डिडक्शन के अतिरिक्‍त सेक्‍शन 80D के तहत अपने, पति/पत्नी और निर्भर बच्चों के मेडिकल इंश्योरेंस के लिए चुकाए गए प्रीमियम पर अधिकतम 25 हजार रुपये (सीनियर सिटीजन करदाता के मामले में 50 हजार रुपये) तक के टैक्स डिडक्शन का लाभ ले सकते हैं। इस सीमा के ऊपर अगर करदाता 60 साल से कम उम्र के माता—पिता के लिए मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम और/या मेडिकल खर्चों का वहन कर रहा है तो उसे 25 हजार रुपये का अतिरिक्त (60 साल से ज्यादा उम्र यानी सीनियर सिटीजन माता-पिता के मामले में 50 हजार रुपये का अतिरिक्त) टैक्स डिडक्शन मिलेगा। इसके अलावा कोई व्यक्तिगत करदाता सेक्शन 80D के तहत प्रिवेंटिव हेल्थ चेक-अप पर हुए खर्च के लिए 5 हजार रुपये का क्लेम भी कर सकता है लेकिन यह उपरोक्त खर्च सीमा के भीतर ही होगा। अगर किसी टैक्सपेयर और उसके पेरेटेंस दोनों की उम्र 60 साल या उससे ज्यादा है तो इस सेक्शन के तहत टैक्सपेयर और पेरेंट्स दोनों के इंश्योरेंस प्रीमियम के जरिए अधिकतम 1 लाख रुपये तक की टैक्स छूट पाई जा सकती है।

माता-पिता को किराए के भुगतान पर
अगर आप माता-पिता के घर में रहते हैं, तो टैक्स डिडक्शन के लिए उन्हें किराए का भुगतान कर सकते हैं। टैक्स डिडक्शन का HRA छूट बेनेफिट के तौर पर फायदा लिया जा सकता है। हालांकि, इसके लिए घर का स्वामित्व माता-पिता के पास होना चाहिए और आप उनके साथ भागीदार नहीं हो सकते। अगर आपको HRA बेनेफिट नहीं मिलता, तो आप सेक्शन 80GG के तहत टैक्स बेनेफिट के लिए क्लेम कर सकते हैं। अगर माता-पिता कर छूट या लोअर टैक्स ब्रैकेट में आते हैं तो इससे फायदा होगा। इस अमाउंट पर टैक्स लगेगा लेकिन वे धारा 24 के तहत रिपेयर और मेंटेनेंस के लिए 30 फीसदी छूट का दावा कर सकते हैं।

​माता-पिता के नाम पर निवेश करें
टैक्स बचत के लिए आप अपने माता-पिता के लिए निवेश की मदद ले सकते हैं। आप अपने माता-पिता के नाम पर फिक्स्ड डिपॉजिट, सीनियर सिटीजन सेविंग्स अकाउंट, सेविंग्स अकाउंट या कोई अन्य डिपॉजिट स्कीम के तहत खाता खोल सकते हैं। सीनियर सिटीजन को सेविंग्स या फिक्स्ड डिपॉजिट से सालाना 50 हजार रुपये तक के ब्याज पर टैक्स छूट प्राप्त है। अगर ब्याज इस लिमिट से अधिक भी हो जाता है तो उन्हें 60 साल से कम उम्र के लोगों के मुकाबले कम टैक्स देना पड़ता है। अगर आप अपने नाम पर वही एफडी खोलेंगे, तो आपको ज्यादा टैक्स का भुगतान करना पड़ेगा।

सेक्शन 80DD और 80DDB
व्यक्ति या HUF सेक्शन 80DD के जरिए खुद पर निर्भर किसी दिव्यांग रिश्तेदार के मेडिकल ट्रीटमेंट, ट्रेनिंग आदि पर टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकता है। इसमें उस दिव्यांग रिश्तेदार की देखभाल के लिए किसी विशिष्ट स्कीम में जमा भी छूट के दायरे में आएगी। अगर निर्भर रिश्तेदार 40 फीसदी या इससे ज्यादा लेकिन 80 फीसदी से कम डिसेबल है तो टैक्स में 75000 रुपये की छूट मिलेगी। अगर रिश्तेदार गंभीर रूप से डिसेबल है यानी 80 फीसदी से ज्यादा तो टैक्स छूट 1.25 लाख रुपये रहेगी।

सेक्‍शन 80DDB के तहत चुनिंदा बीमारियों के मामले में सैलरीड इंप्लॉई अपने या खुद पर निर्भर परिवार के सदस्‍य के इलाज पर अधिकतम 40,000 रुपये टैक्‍स कटौती क्‍लेम कर सकते हैं। सीनियर सिटीजन के इलाज के मामले में 1 लाख रुपये तक के मेडिकल खर्च पर टैक्‍स छूट का फायदा लिया जा सकता है।