चालू मार्केटिंग सीजन में पाम तेल के आयात में मामूली बढ़ोतरी का अनुमान

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मुम्बई। वर्तमान मार्केटिंग सीजन (नवम्बर-अक्टूबर) के दौरान भारत में पाम तेल का आयात 2022-23 सीजन से कुछ अधिक हो सकता है लेकिन यह वृद्धि मामूली होगी क्योंकि गत सीजन का आधार ऊंचा है।

व्यापार विश्लेषक का कहना है कि भारी-भरकम स्टॉक मौजूद है और इस बार सूरजमुखी तेल के आयात पर भारतीय आयातक ज्यादा जोर दे सकते हैं। विश्लेषक के मुताबिक 2021-22 सीजन के मुकाबले 2022-23 सीजन के दौरान देश में पाम तेल का आयात 79.10 लाख टन से 23.7 प्रतिशत उछलकर 97.90 लाख टन पर पहुंचा जबकि 2023-24 के सीजन में महज 2 प्रतिशत बढ़कर 100 लाख टन पर पहुंचने के आसार हैं। मालूम हो कि भारत में पाम तेल का आयात मुख्यत: इंडोनेशिया, मलेशिया एवं थाईलैंड जैसे देशों से होता है।

विश्लेषक के अनुसार अक्टूबर 2023 के अंत में बंदरगाहों पर करीब 11 लाख टन एवं पाइप लाइन में लगभग 19 लाख टन के साथ देश में तकरीबन 30 लाख टन खाद्य तेल का स्टॉक मौजूद था। दिलचस्प तथ्य यह है कि नया मार्केटिंग सीजन ऊंचे आयात के साथ शुरू हुआ है।

नवम्बर 2023 में पाम तेल का आयात बढ़कर 8.66 लाख टन पर पहुंच गया जो अक्टूबर के आयात 7.08 लाख टन से करीब 22 प्रतिशत ज्यादा रहा। पिछले कुछ महीनों से पाम तेल के आयात में गिरावट का रुख बना हुआ था लेकिन अब इसकी दिशा बदल गई है।

पिछले दो माह के दौरान इसके आयात में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई। पाम तेल अब भी सबसे सस्ते दाम पर उपलब्ध है तथा अन्य खाद्य तेलों के मुकाबले इस पर आयातकों को ज्यादा मार्जिन बैठ रहा है।

पिछला बकाया स्टॉक ऊंचा रहने तथा नवम्बर में आयात बढ़ने से घरेलू प्रभाग में पाम तेल की आपूर्ति एवं उपलब्धता की स्थिति काफी सुगम हो गई है इसलिए आगामी महीनों में इसका आयात कुछ हद तक अनाकर्षक हो सकता है।

विश्लेषक के मुताबिक निर्यातक देशों में मार्च डिलीवरी के लिए सोयाबीन तेल एवं सूरजमुखी तेल के दाम में भारी गिरावट आ गई है जिससे भारतीय रिफाइनर्स को इसका आयात बढ़ाने का प्रोत्साहन मिल सकता है। वे क्रूड पाम तेल (सीपीओ) के बजाए क्रूड सोयाबीन तेल एवं क्रूड सूरजमुखी तेल की रिफाइनिंग पर विशेष ध्यान दे सकते हैं।

सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सी) के आंकड़ों से पता चलता है कि देश में खाद्य तेलों के सम्पूर्ण आयात में पाम तेल की भागीदारी 2021-22 के सीजन में 56 प्रतिशत थी जो 2022-23 के सीजन में बढ़कर 59 प्रतिशत पर पहुंच गई।