चम्बल नदी का प्राकृतिक स्वरूप बरकरार रखा जाए: वाटरमैन राजेंद्र सिंह

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कोटा। भारतीय सांस्कृतिक निधि (इंटेक) कोटा चेप्टर के सदस्यों व चम्बल कमेटी के पदाधिकारियों ने जल बिरादरी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मेग्सेसे पुरस्कार प्राप्त वाटरमैन राजेंद्र सिंह से चम्बल को प्रदूषण मुक्त बनाने की योजना के बारे में विचार विमर्श कर निर्णय किया कि राज्य सरकार के साथ विचारों को साझा किया जाएगा। सरकार की रिवर फ्रंट योजना में चम्बल नदी के प्राकृतिक स्वरूप को बनाए रखने के लिए सरकार से बात की जाएगी।

वाटरमैन सिंह ने सुझाव दिया कि शहर के प्रबुद्ध नागरिकों को चम्बल के संरक्षण पर सरकार को साथ लेना चाहिए यह बड़ा काम है। सरकार ने चम्बल का बचाने के बारे में सोचा है, यह कोटा के नागरिकों का सम्मान है। इंटेक कन्वीनर निखिलेश सेठी ने बताया कि इंटेक ने कोटा प्रवास पर आए राजेंद्र सिंह का कैलाश भवन इंटेक कार्यालय पर अभिनंदन किया।

सिंह ने कहा कि नदी के सौंदर्यकरण के खिलाफ नहीं है, लेकिन शुद्धिकरण को ध्यान में रख कर रिवर फ्रंट पर काम किया जाऐ तो किसी को आपत्ति नहीं होगी। सेठी ने कहा कि रिवर फ्रंट पर प्रकृतिविज्ञों एवं सरकार के साथ पुल का काम करेगा।

इस अवसर पर इंटेक चम्बल कमेटी के पदाधिकारी एडमिरल विनीत बक्षी, स्क्वाड्रन लीडर आरपी भटनागर, एलबीएस एजुकेशन ग्रुप के निर्देशक कुलदीप माथुर, को-कन्वीनर बहादुर सिंह हाड़ा, प्राकृतिक विरासत कमेटी के बृजेश विजयवर्गीय, तरुमीतसिंह बेदी, पर्यावरणविद् विट्ठल सनाढ्य,आदित्य सेठी, डाॅ. हेमलता गांधी आदि प्रमुख थे।जैन सोशल ग्रुप कोटा के अध्यक्ष पंकज सेठी,सचिव अनुराग आदि ने वाटरमेन का शाॅल ओढ़ा कर माल्यार्पण किया

चम्बल का स्वरूप देखा
जल बिरादरी के अध्यक्ष राजेंद्र सिंह ने प्रातः डडवाड़ा में मृदा अनुसंधान एवं जल ग्रहण विभाग भारत सरकार के कार्यालय के पास से चम्बल नदी के प्रदूषण का जायजा लिया और कहा कि नदी का स्वास्थ्य बहुत खराब हो चुका है। इसे उपचार की जरूरत है।