गेहूं का सरकारी भंडार 16 साल में सबसे कम, जानिए क्या होगा असर

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नई दिल्ली। देश के केंद्रीय पूल में गेहूं का स्टॉक 16 साल के सबसे कम स्तर पर पहुंच गया है। इसकी वजह बीते दो वर्ष से गेहूं के उत्पादन में कमी आने के बीच सरकार द्वारा गेहूं के दाम काबू में रखने के लिए घरेलू बाजार में इसकी आपूर्ति बढ़ाना है।

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के आंकड़ों के अनुसार 1 अप्रैल को केंद्रीय भंडार में 75 लाख टन गेहूं का भंडार था, जो पिछले साल की समान अवधि के 83.50 लाख टन से कम है। बीते एक दशक में 1 अप्रैल को केंद्रीय भंडार में गेहूं का औसत भंडार 167 लाख टन रहा है।

गेहूं के दाम काबू करने के लिए पिछले साल सरकार द्वारा रिकॉर्ड 100 लाख टन गेहूं बेचने के कारण इसके भंडार में कमी आई है। गेहूं की आपूर्ति कमजोर होने के बाद भी भारत सरकार आयात को बढ़ावा देने के लिए आयात पर लागू 40 फीसदी शुल्क हटाकर रूस जैसे देश से इसका आयात करने के विरोध में रही।

सरकार ने आयात करने के बजाय भंडार में मौजूद गेहूं आटा मिल व बिस्कुट निर्माता जैसे बड़े उपभोक्ताओं को बेचा। अधिकारी ने कहा कि सरकार ने बड़ी मात्रा में सरकारी भंडार से गेहूं की बिक्री करने के बाद भी इसके भंडार को बफर से नीचे नहीं गिरने दिया। सरकार ने यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया कि गेहूं का स्टॉक 100 लाख टन से नीचे न जा पाए। केंद्र सरकार के बफर नियम के मुताबिक 1 अप्रैल को गेहूं का स्टॉक 74.6 लाख टन या इससे अधिक होना ही चाहिए।

मुंबई के एक डीलर ने कहा कि सरकार ने अगले सीजन में गेहूं का स्टॉक बफर नियम से अधिक रखने को सुनिश्चित करने के लिए इस साल किसानों से 300 से 320 लाख टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा है।

भारत सरकार साल 2022 व 2023 में गेहूं खरीद के लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाई क्योंकि ज्यादा गर्मी के कारण गेहूं की पैदावार कम हुई। भारत ने 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक स्तर पर गेहूं की आपूर्ति कमजोर पड़ने से इसकी निर्यात मांग बढ़ने के बीच गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। डीलर ने कहा कि अगर सरकार जरूरी मात्रा में गेहूं खरीदने में विफल रही तो शुल्क मुक्त गेहूं के आयात पर विचार कर सकती है।