गहलोत सरकार की नीचता, लॉक डाउन में पेट्रोल-डीजल पर दो बार वैट बढ़ाया

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जयपुर। राजस्थान में एक तरफ जनता कोरोना वायरस संक्रमण के संकट से जूझ रही है, वहीं दूसरी तरफ गहलोत सरकार ने अपनी अमानवीयता का परिचय देते हुए अपना वित्तीय संकट दूर करने के लिए पेट्रोल और डीजल पर वैट बढ़ा दिया है। लॉक डाउन के बीच यह दूसरा मौका है जब सरकार ने वैट बढ़ाया है।

जानकारी के अनुसार, सरकार ने 25 दिन बाद ही एक बार फिर पेट्रोल और डीजल पर वैट बढ़ा दिया है। सरकार ने पेट्रोल पर दो प्रतिशत और डीजल पर एक प्रतिशत वैट बढ़ाया है।
बुधवार देर रात इसकी अधिसूचना जारी की गई। इसके बाद अब पेट्रोल पर वैट 34 से बढ़ाकर 36 प्रतिशत और डीजल पर 26 से बढ़कर 27 प्रतिशत हो गया है। इस बढ़ोतरी के बाद राजस्थान में पेट्रोल डेढ़ रुपए और डीजल 70 से 80 पैसे प्रति लीटर महंगा हो गया।

बता दें कि राजस्थान सरकार ने 22 मार्च को ही पेट्रोल और डीजल पर चार-चार प्रतिशत वैट बढ़ाया था। यही वह समय भी था, जब केन्द्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज डयूटी में तीन रुपए की बढ़ोतरी की थी। कोरोना संकट के चलते राजस्थान सरकार को करीब 17 हजार करोड़ के राजस्व का नुकसान हुआ है। मार्च का महीना जो सबसे ज्यादा राजस्व देने वाला महीना माना जाता है, उस दौरान कोरोना संकट के कारण सब कुछ ठप हो गया और ऐसे समय में सरकार के लिए आर्थिक संकट बहुत ज्यादा बढ़ गया।

सरकार के वित्त विभाग को उम्मीद है कि इस बढ़ोतरी से स्थितियां कुछ सुधरेंगी, हालांकि इस समय पेट्रोल और डीजल की मांग 80 प्रतिशत तक कम हो गई है, क्योंकि सड़कों पर वाहन चल ही नहीं रहे है, लेकिन राजस्थान में 21 अप्रेल से ज्यादातर गतिविधियां शुरू होने की उम्मीद है और ऐसे में सरकार पेट्रोल और डीजल के वेट से कुछ हद तक घाटा पूरा करने की उम्मीद कर रही है।

इस बढोतरी से राजस्थान के सीमावर्ती जिलों के पेट्रोल पम्पों की स्थिति और ज्यादा खराब होने की आशंका बताई जा रही है, क्योंकि राजस्थान के पडौसी राज्यों में वैट की दरें यहां के मुकाबले काफी कम है, ऐसे में सीमावर्ती राज्यों मेंआने जाने वाले वाहन राजस्थन के पेट्रोल पम्पों से डीजल व पेट्रोल नहीं लेते है।

धिक्कार है गहलोत सरकार
लॉक डाउन में एक तरफ आम जनता को दो जून की रोटी नसीब नहीं हो रही है। कारखाने बंद होने से लोग बेरोजगार हैं। व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद हैं। आमदनी के सारे रास्ते बंद हैं। ऐसे में राजस्थान की गहलोत सरकार को सरकारी खजाना भरने की पड़ी है। धिक्कार है ऐसी सरकार को,जो राष्ट्रीय आपदा के समय भी जनता के हितों को अनदेखा करती है।