कोटा बैराज के निचले आबादी क्षेत्र में अलर्ट, एक लाख क्यूसेक पानी की निकासी संभव

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लगभग समूचे कोटा संभाग में पिछले तीन दिनों से लगातार हो रही यह बारिश भी उन किसानों के लिए लाभकारी साबित होने वाली नहीं है, जिनकी फसलें पिछले करीब दो माह में बरसात नहीं होने के कारण सूख कर नष्ट हो चुकी है। यह बरसात निश्चित रूप से भूमिगत जल स्तर को ऊपर उठाने में मदद करेगी, जिससे आने वाले अगले कृषि सत्र रबी में गैर नहरी क्षेत्र के किसानों को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध होने की दृष्टि से मदद मिलेगी।

-कृष्ण बलदेव हाडा –
कोटा। flood danger alert: मध्यप्रदेश के मालवा अंचल में बीते कुछ दिनों से लगातार हो रही मूसलाधार बरसात के बाद जल ग्रहण क्षेत्र से पानी की भारी आवक होने के कारण चंबल नदी पर बने सबसे बड़े बांध गांधी सागर के गेट खोल कर पानी की निकासी करनी पड़ी है, जिसके परिणाम डाउन स्ट्रीम के तीनों बांधो के भी गेट खोलने पड़े।

इस बीच कोटा जिला प्रशासन ने कोटा बैराज से एक लाख क्यूसेक से भी अधिक पानी की निकासी की संभावना को देखते हुए कोटा बैराज के निचले तटीय आबादी क्षेत्र के लोगों के लिए अलर्ट जारी किया है। मालवा में भीषण बरसात से रेल और सड़क यातायात प्रभावित हुआ है, लेकिन यह वर्षा बीते दो महीनों के सूखे के बाद फसलों के लिए आंशिक रूप से जीवनदाई साबित हो सकती है।

मध्यप्रदेश के मालवा अंचल में भारी बरसात के कारण मंदसौर जिले में बने चंबल नदी के सबसे बड़े 1312 फीट की भराव क्षमता वाले गांधी सागर बांध में जल ग्रहण क्षेत्र से पानी की जबरदस्त आवक होने के कारण बांध के गेट खोल कर पानी की निकासी करनी पड़ी है। मानसून के इस सत्र में पहली बार रविवार को गांधी सागर बांध के पांच गेट खोलकर 95 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया था। यह सिलसिला आज भी जारी है।

बांध के जल ग्रहण क्षेत्र से ताजा जानकारी के अनुसार 4.16 लाख क्यूसेक पानी की लगातार आवक हो रही है, जिसमें से 2.36 लाख क्यूसेक पानी छोड़ना पड़ रहा है। बांध के जलस्तर को 1309 फीट के आसपास रखा जा रहा है। गांधी सागर बांध से पानी की निकासी किए जाने के कारण डाउनस्ट्रीम से राणा प्रताप सागर, जवाहर सागर, कोटा बैराज के गेट खोल कर पानी की निकासी करना पड़ रहा है।

गांधी सागर बांध के पांच बड़े और सात स्लूज गेट खोल कर पानी की निकासी की जा रही है। रावतभाटा में स्थित राणा प्रताप सागर बांध से डेढ़ हजार क्यूसेक से भी अधिक पानी की निकासी की जा रही है। 11 57. 50 फ़ीट की भराव क्षमता वाले इस बांध में वर्तमान में 1140 फ़ीट से भी अधिक पानी है।

इसी तरह 984 फीट की भराव क्षमता वाले जवाहर सागर बांध से पानी की निकासी पर भराव क्षमता को 975 फीट के आसपास सीमित रखा जा रहा है। कोटा बैराज से सोमवार को चार गेट खोलकर 12 हजार क्यूसेक पानी की निकासी की जा रही है। 854 फीट की भराव क्षमता वाले कोटा बैराज का जलस्तर 853 फ़ीट के आसपास रखा जा रहा है।

मध्यप्रदेश के मालवा अंचल में बरसात के कारण मुंबई-नई दिल्ली रेल लाइन पर यातायात पर प्रतिकूल असर पड़ा है, क्योंकि अमरगढ़-पंच पीपलिया रेलवे स्टेशनों के बीच रेलवे लाइन पर पानी भर जाने से रेल यातायात संचालन को रोकना पड़ा है और यात्री गाड़ियों का परिचालन या तो स्थगित करना पड़ा है या उनका मार्ग परिवर्तित किया गया है।

इस मानसून सत्र में हाडोती संभाग में लगभग सूखे के हालात रहने कारण खरीफ की फसलों खासतौर पर धान और सोयाबीन को काफी नुकसान पहुंचा है। हालांकि पिछले तीन दिनों से पूरे संभाग में हो रही बरसात से इन फसलों को जीवनदान मिलने की उम्मीद के साथ भूमिगत जलस्तर उपर आने की आशा है।

इस बरसात से उन्ही फ़सलों को लाभ मिलेगा जो भूमिगत नमी होने या किसानों के अपने ट्यूबवैल, कुए जैसे संसाधनों से सिंचाई किए जाने के कारण अब तक खेतों में खड़ी है।सूखकर नष्ट हो चुकी फसलों को यह बरसात भी जीवनदान नहीं दे सकती, क्योंकि कई किसानों ने तो बरसात के अभाव में सूख गई अपनी खड़ी फ़सलों को हांक तक दिया है जिसमें धान, सोयाबीन और उड़द की फसलें मुख्य रूप से शामिल है। कोटा संभाग में इस बार सामान्य से कम बरसात होने के कारण किसानों की चिंता बढ़ गई है।

क्योंकि कम बारिश होने के कारण भूमिगत जल स्तर के गहरे चले जाने से आने वाले रबी के कृषि सत्र में गैर नहरी इलाके में मुख्य फ़सलों को ट्यूबवेल, कुए जैसे जल स्त्रोतों से सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता कम होने की आशंका है।

हालांकि गांधी सागर बांध और अन्य बांधों में जलभराव की स्थिति काफी बेहतर हो जाने के कारण कोटा बैराज की दाईं और बाईं मुख्य नहर से सिंचित होने वाले बूंदी, कोटा और बारां जिलों के सिंचित क्षेत्र सहित मध्य प्रदेश के ग्वालियर संभाग के नहरी इलाके के किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध करवाया जा सकेगा, जिससे इस क्षेत्र में किसानों को खरीफ़ के साथ आने वाले रबी के कृषि सत्र में भी काफी लाभ मिलने की उम्मीद है।

इसके अलावा पिछले तीन दिनों से लगातार हो रही बरसात के कारण खरीफ की फसल के लिए पानी की आवश्यकता नहीं होने के कारण नहरी इलाके में नहरों से पानी की निकासी को लगभग बंद कर दिया गया है।

हाडोती अंचल के ग्रामीण क्षेत्रों में भादवा माह की इस बरसात से कृषि क्षेत्र के लिए पानी की उपलब्धता के कारण बिजली की खपत की स्थिति में भी सुधार हुआ है, क्योंकि बादलों के बरसने के कारण नहरों सहित ट्यूबवैल, कुओं से सिंचाई अब लगभग बंद कर दी गई है।

कोटा संभाग में खरीफ़ के कृषि सत्र में 11 लाख हेक्टेयर से भी अधिक रकबे में फ़सलों की बुवाई की गई थी, जिनमें हाडोती संभाग की मुख्य फसल माने जाने वाली सोयाबीन सहित धान, मक्का,मूगंफ़ली आदि की फसलें शामिल थी।

गैर नहरी इलाके में भूमिगत जल की अच्छी उपलब्धता के कारण व्यापक पैमाने पर फसले होने की उम्मीद थी, लेकिन बीते करीब दो महीनों में बरसात का दौर लगभग थमा रहने के कारण नहरी क्षेत्र में तो किसानों को सिंचाई के लिए पानी मिलता रहा, लेकिन गैर नहरी क्षेत्रों में भूमिगत जल स्तर काफी नीचे चले जाने के कारण वे किसान पर्याप्त सिंचाई करने से वंचित रह गए जिनके अपने ट्यूबवेल जैसे निजी जल स्त्रोत थे।

बारानी भूमि में तो फसलें वर्षा के अभाव में लगभग तबाह ही गई। फ़सलों की तबाही के मंजर के कारण कर्ज में डूबे कुछेक किसानों को तो आत्महत्या तक करने के लिए मजबूर होना पड़ा था।