केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री ने जानी कोटा के व्यापारियों एवं उद्यमियों की समस्या

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कोटा। कोटा व्यापार महासंघ के महासचिव अशोक माहेश्वरी ,लघु उद्योग भारती के अखिल भारतीय उपाध्यक्ष ताराचंद गोयल दी एसएसआई एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष अनिल मूंदड़ा ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर से कोटा के व्यापार उद्योग जगत में आ रही समस्याओं पर विस्तृत चर्चा की।

कोटा व्यापार महासंघ के महासचिव अशोक माहेश्वरी ने बताया कि कोरोनावायरस के चलते व्यापार उद्योग जगत का पूरी तरह से धरातल पर आ जाना और आगे क्या होता है इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता, कितनी तबाही और होगी ।

उन्होंने बताया कि वर्किंग कैपिटल के लिए 10% बैंकों ने एडवोक लिमिट के लिए बताया है। अभी तक बैंक सिर्फ कागजी खानापूर्ति ही कर रहे हैं। MSME को एडहोक लिमिट की तुरंत आवश्यकता है। वह अकाउंट खोलकर MSME उद्यमी को तुरंत प्रदान करनी चाहिए।

माहेश्वरी ने बताया 2 महीने पूरे निकल गए सिर्फ 10 परसेंट से ही काम नहीं चल रहा। एडहॉक लिमिट 20 परसेंट की जानी चाहिए। राजस्थान में खनिज उद्योग रोजगार उत्पन्न करने का एक महत्वपूर्ण साधन है। पिछले 4 सालों में कोई भी नई खनन पट्टे अभी तक सरकार द्वारा नहीं बन पाए हैं। सभी उद्यमियों ने अपना पैसा खनिज पट्टे के लिए पिछले 4 सालों से फंसा रखा है। सरकार चाहे तो नई खनन चालू कर रोजगार के साधन उत्पन्न कर सकते हैं जो आज अतिआवश्यकता है।

लघु उद्योग भारती के अखिल भारतीय उपाध्यक्ष ताराचंद गोयल ने बताया कि वर्तमान में चल रहे कोरोना वायरस से निबटने के साथ आने वाले समय में कई चुनौतियां हमारे सामने खड़ी हो जाएगी जिसको सभी के प्रयासों से निपटा जा सकेगा। फूड प्रोसेसिंग उद्योग की कार्यशील पूंजी को लोन में परिवर्तित करने का आदेश दे रखा है, उस पर ब्याज लिया जा रहा है। अतः जितना पैसा लिमिट में काम आ रहा है, उस पर ही ब्याज लगे।

वर्तमान में औद्योगिक हालातों को देखते हुए तुरंत आर्थिक पैकेज की घोषणा करें, साथ ही उसे लागू करें। उन्होंने बताया कि रिजर्व बैंक की गाइडलाइन जारी हुई है जिसमें सभी बैंकों 150 करोड रुपए की वर्किंग कैपिटल लिमिट बनाई हुई है। उसमें से 60% की वर्किंग कैपिटल को डिमांड लोन में डाल देवें, जबकि वर्किंग कैपिटल सीसी आवश्यकतानुसार जमाई करवाई जा सकती है।

ऐसा प्रावधान है डिमांड लोन में डालने से उसका ब्याज का भार उद्योग एवं व्यापार पर पड़ेगा। चाहे वह राशि काम में आ रही हो या नहीं वर्तमान में कृषि आधारित उद्योगों को कच्चे माल की उपलब्धता नहीं होने से खरीद नहीं कर पा रहे। फलतः वर्किंग कैपिटल का उपयोग होना संभव नहीं है। अतः आरबीआई की गाइडलाइन हटाई जानी चाहिए।

बैंकों की गाइडलाइन के अनुसार कंपनियों की ऑडिट समय पर नहीं हो पाएगी, रेटिंग नहीं हो सकेगी।अतः बैंक कार्रवाई करेंगे। इसे रोके जाने का आदेश दिया जाना चाहिए। लोक डाउन के कारण सभी उद्योगों व व्यापारियों को वित्तीय हानि हुई है। वित्तीय हानि के कारण आयकर व जीएसटी डिपार्टमेंट लक्ष्य पूर्ति न होने के कारण उद्यमियों एवं व्यापारियों को अनावश्यक नोटिस के माध्यम से परेशान नहीं किया जाना चाहिए।

यह समय कोई नए कर लगाने का नहीं
लोक डाउन के बाद व्यापार व्यवसाय को बिना रुकावट गति प्रदान करने के स्थान पर राजस्थान सरकार ने कृषि कल्याण सेस 2% अतिरिक्त कर लगाकर मंडी का कारोबार बंद करवा दिया है। इसे किसान, मजदूर, व्यापारी एवं उद्यमी सभी को प्रभावित किया है। अतः यह समय कोई नए कर लगाने का नहीं है।

अर्थदंड के रूप में कोई चार्ज बैंक के खातों में नहीं लगाया जाना चाहिए। 1 मार्च के बाद से दिसंबर तक कोई खाता एनपीए नहीं होना चाहिए। लोक डाउन तक विद्युत बिलों में फिक्स चार्ज नहीं लगाया जाना चाहिए।

एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष अनिल मूंदड़ा ने बताया कि व्यापारी फर्म में जो लोगों का रुपया जमा है उसके ब्याज पर 3 मई तक टीडीएस 10% काटकर जमा कराना होता है क्योंकि 23.03 2020 से लोक डाउन चल रहा है। उसके कारण व्यापारिक प्रतिष्ठान और ऑफिस पूर्णतया बंद है। अतः ब्याज की गणना नहीं हो पाई।

सरकार की दादागिरी
इसलिए टीडीएस जमा नहीं हो पाया। अब सरकार यह कह रही है कि टीडीएस पर 2 माह अप्रैल एवं मई का 9 % के हिसाब से ब्याज जोड़कर जमा करवाना होगा, जो सरकार की दादागिरी है। सरकार को इसे वापस लेना चाहिए और 30 मई तक टीडीएस जमा कराने वालों को से ब्याज नहीं लेना चाहिए।