कश्मीर में अराजकता फैलाने वालों से निपटने की रणनीति तैयार

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नई दिल्ली। जम्मू और कश्मीर में शांति कायम रखने के लिए केंद्र सरकार ने अशांति फैलाने वाले चार किस्म के समूहों से निपटने के लिए रणनीति तैयार की है। खासकर कश्मीर के कई भागों में धीरे-धीरे के करके पाबंदियां हटाने के बाद वहां हिंसक प्रदर्शन नहीं होने देने की कवायद जारी है।

जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 व 35ए हटाने के साथ ही संसद में जम्मू और कश्मीर के पुनर्गठन बिल को पारित कराने से पहले चार, अगस्त से ही राज्य में इन पाक समर्थित क्षेत्रीय नेताओं, अलगाववादी, आतंकी और पत्थरबाज समूहों पर शिकंजा कस दिया गया था।

अलगाववादी नेताओं पर सरकार की नजर
चूंकि केंद्र सरकार अब जम्मू और कश्मीर पर लगाई पाबंदियों में अब ढील दे रही है, लिहाजा वहां उग्र प्रदर्शन होने से रोकने के लिए सरकारी अमले ने अपना ध्यान क्षेत्रीय नेताओं पर केंद्रित कर दिया है। इन्हें ‘मूवर्स एंड शेकर्स’ का नाम दिया गया है। इस समूह में अलगाववादी संगठन हुर्रियत कांफ्रेंस के नेताओं और राज्य के प्रमुख राज नेताओं को रखा गया है।

घाटी में कर्फ्यू लगाने से पहले ही सरकार ने ऐसे कई नेताओं को या तो नजरबंद कर लिया था या फिर उन्हें हिरासत में ले लिया था। लैंड लाइन और इंटरनेट लाइनों को ठप कर दिया गया था। दूसरा समूह आतंकियों और प्रतिबंधित संगठनों के सदस्यों का है, जो तनाव और अशांति का कारण हैं।

सरकार सीमा पर और आतंकी गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए सेना को खुली छूट देने का मन बना रही है। सेना सीमा और नियंत्रण रेखा पर सुरक्षा बढ़ाकर उसकी सुरक्षा करेगी, ताकि पाकिस्तानी आतंकी देश में घुसपैठ न कर सके। इसके अलावा, वह पंजाब और जम्मू की सीमा की सुरक्षा की समीक्षा करेगी।

पत्थरबाजों पर होगी नजर: सरकार जिस तीसरे समूह पर नजर रखेगी वह पत्थरबाजों का है। यह घाटी में होने वाले प्रदर्शनों का सबसे विकृत रूप है। यह पत्थरबाज प्राय किशोर हैं। इन्हें सुधारने के लिए सामुदायिक बांड बनाने की रणनीति तैयार की गई है। इसके तहत 20 परिवारों के सदस्यों और उनके साथियों को इसमें शामिल किया गया है। इस बांड में लिखवाया जाएगा कि वह सुनिश्चित करें कि किशोर किसी अराजक या हिंसक गतिविधियों में शामिल न हों।

धार्मिक नेताओं पर अंकुश: इसके अलावा, चौथे समूह के रूप में सरकार जम्मू और कश्मीर में धार्मिक नेताओं पर भी अंकुश लगाने वाली हैं। जरूरत पड़ने पर सरकार इन धार्मिक नेताओं से सख्ती से निपटने या उन्हें तुरंत गिरफ्तार करने का मन बना रही है।