एलन के विद्यार्थियों ने जाना कार्डियक अरेस्ट में लोगों की जान बचाने के लिए कैसे दें सीपीआर

54

कोटा। Cardiopulmonary Resuscitation: कोराना के बाद से हार्टअटैक के मामले बढ़ते जा रहे हैं। सही समय पर लोगों को इलाज नहीं मिलने से उनकी मौत हो रही है। इसको देखते हुए केन्द्र सरकार की ओर से कार्डियक अरेस्ट (cardiac arrest) में लोगों की जान बचाने के लिए 10 लाख लोगों को कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) ट्रेनिंग दी जा रही है। जिसके तहत बुधवार को एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट में एक लाख विद्यार्थियों को सीपीआर ट्रेनिंग दी गई।

कोटा के वरिष्ट हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. साकेत गोयल की टीम ने समरस ऑडिटोरियम, डॉ. सिद्धार्थ सेठी की टीम ने सत्यार्थ सभागार एवं डॉ. ब्रह्मप्रकाश त्रिपाठी की टीम ने कुन्हाड़ी स्थित सद्गुण सभागार में यह ट्रेनिंग कराई। डॉ. साकेत गोयल ने बताया कि सीपीआर एक इमरजेंसी जीवन रक्षक प्रोसेस है। इसका उपयोग तब किया जाता है जब दिल धड़कना बंद कर देता है। कार्डियक अरेस्ट के बाद तत्काल सीपीआर से व्यक्ति के बचने की संभावना बढ़ जाती है।

जब किसी पीड़ित व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत हो या बेहोश हो जाए तो सीपीआर से उसकी जान बचाई जा सकती है। किसी व्यक्ति को हार्ट अटैक आने पर सबसे पहले सीपीआर दिया जाता है। सीपीआर के दौरान अपने दोनों हाथों की मदद से एक मिनट में 100 से 120 बार छाती के बीच में जोर से और तेजी से पुश करना होता है। इसके बाद मुंह से सांस देनी होती है। इस प्रोसेस को माउथ टू माउथ रेस्पिरेशन कहते हैं। इसके लिए उस पीड़ित को पहले किसी ठोस जगह पर लिटाया जाता है. इसके बाद रेस्पिरेशन दिया जाता है।

डॉ. सिद्धार्थ सेठी ने बताया दिल का दौरा पड़ने पर पहला घंटा गोल्डन आवर (golden hour) माना जाता है। इस समय मरीज को सीपीआर देकर उसकी जान बचाई जा सकती है। यह संजीवनी का काम करता है। डॉ. त्रिपाठी ने बताया कि सीपीआर की तकनीक सभी को आनी चाहिए।