एक देश-एक चुनाव: कोविंद समिति ने सौंपी सिफारिशें, बताया हो सकते हैं एक साथ चुनाव

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नई दिल्ली। One Nation-One Election: एक देश-एक चुनाव को लेकर मोदी सरकार की लंबे समय से चली आ रही मांग पर कोविंद समिति ने मुहर लगा दी है। आज भारत के 14वें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अगुवाई में बनी समिति ने 191 दिनों के रिसर्च के बाद 18,626 पन्नों की रिपोर्ट वर्तमान राष्ट्रपति द्रोपदी मूर्मु को सौंप दी।

समिति ने बताया है कि 2 सितंबर, 2023 को गठित की गई इस समिति ने 191 दिन के अपने इस रिसर्च में हितधारकों, विशेषज्ञों के साथ व्यापक परामर्श किया है। समिति ने कहा कि उसकी चर्चा में 47 राजनीतिक दलों ने अपनी राय दी है। जिनमें से 32 ने समिति के एक देश-एक चुनाव जैसी सिफारिशों के पक्ष में राय दी तो वहीं, 15 ने विपक्ष में अपना मत रखा है। इसमें निर्वाचन आयोग (Election Commission), विधि आयोग (Law Commission) और कानूनी विशेषज्ञों की राय भी शामिल है।

आइये जानते हैं क्या है कोविंद समिति की सिफारिश

  1. पूर्व राष्ट्रपति की अगुवाई में बनी हाई लेवल कमेटी ने अपने पहले कदम के तहत लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश की है।
  2. समिति ने कहा है कि जब लोकसभा और सभी राज्यों में विधानसभाओं के चुनाव संपन्न हो जाएं तो उसके 100 दिनों के भीतर ही एक साथ पूरे देश में स्थानीय निकाय चुनाव (local body elections) करा दिए जाएं।
  3. सभी राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल अगले लोकसभा चुनाव यानी 2029 तक बढ़ाया जाए।

चूंकि कोविंद की अगुवाई वाली समिति चाहती है कि सभी राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव एक साथ हों और ऐसा होना 2029 से ही शुरू हो जाए। तो ऐसे में मुसीबत इस बात की होने वाली है कि जिन राज्यों में 2024 के बाद यानी 2025, 26, 27 में चुनाव होने हैं उनका क्या होगा? या जिन राज्यों का चुनाव 2023 में हो गया, उनके लिए चुनाव का समय पांच साल बाद यानी 2028 में ही आ जाएगा तो तो 2029 में क्या फिर चुनाव होगा?

इसको लेकर कोविंद समिति का कहना है कि जो चुनाव 2023 में हुए हैं, उनका कार्यकाल 1 साल के लिए और बढ़ा दिया जाए यानी 6 साल तक सरकार चले। और जिन राज्यों में चुनाव 2024 के बाद होने हैं, उनके कुछ कार्यकाल को काट दिया जाए। ऐसे में सभी राज्यों का चुनाव और लोकसभा का चुनाव एक साथ 2029 में हो सकेगा।

  1. हंग हाउस, अविश्वास प्रस्ताव आने पर सरकार गिरने की स्थिति में क्या होगा? इस पर कोविंद कमेटी ने सिफारिश की है कि जब भी हंग हाउस ( स्पष्ट बहुमत न होना) और अविश्वास प्रस्ताव के साथ अगर सरकार बीच में ही गिर जाती है तो 5 साल के कार्यकाल में बाकी बचे समय के लिए नए सिरे से चुनाव करा लिए जाएं। इसका मतलब यह है कि अगर सरकार बीच में गिर जाती है (चाहे वह लोकसभा हो या राज्य विधानसभा) तो उतने ही समय के लिए चुनाव होगा, जितना कि 5 साल में से बचा है। ऐसा नहीं कि नए सिरे से चुनाव होने पर बनी नई सरकार अगले 5 साल तक का कार्यकाल पूरा करेगी।
  2. कोविंद समिति ने सिफारिश की है कि भारत निर्वाचन आयोग राज्य चुनाव अधिकारियों के परामर्श से एकल मतदाता सूची (सिंगल वोटर लिस्ट) और मतदाता पहचान पत्र (वोटर आईडी) तैयार करे।

समिति ने कई संवैधानिक संशोधन की सिफारिश की है जिनमें से ज्यादातर के लिए राज्यों के अप्रूवल की जरूरत नहीं होगी। बता दें कि भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission of India) लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए जिम्मेदार है, जबकि नगर निकायों और पंचायतों के चुनावों का प्रबंधन राज्य चुनाव आयोग (State Election Commission) करता है।

एक देश-एक चुनाव से क्या होगा फायदा
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपी गई 18626 से ज्यादा पन्नों की रिपोर्ट में कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति ने कहा है कि एक साथ चुनाव कराए जाने से विकास प्रक्रिया और सामाजिक एकजुटता को बढ़ावा मिलेगा, लोकतांत्रिक परंपरा की नींव गहरी होगी और ‘इंडिया जो कि भारत है’ की आकांक्षाओं को साकार करने में मदद मिलेगी।

कौन-कौन है कोविंद समिति में शामिल
कोविंद ने जब राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति को रिपोर्ट सौंपी उस वक्त उनके साथ समिति के सदस्य गृह मंत्री अमित शाह, वित्त आयोग (Finance Commission) के पूर्व यानी 15वें प्रमुख एनके सिंह, लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष कश्यप, राज्यसभा में विपक्ष के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद और कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल थे। बता दें कि समिति में सुप्रीम कोर्ट के वकील हरीश शाल्वे और पूर्व सतर्कता आयुक्त (CVC) संजय कोठारी भी शामिल हैं। बता दें कि इस समिति के गठन के समय कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी का भी नाम था, लेकिन उन्होंने इसमें शामिल होने से इनकार कर दिया था।