उत्पादन घटने से केरल में कालीमिर्च का भाव तेज, साबुत सुपारी और रबड़ के दाम में भी वृद्धि

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वायनाड। देश के सुदूर दक्षिणी भाग में स्थित ‘मसाला प्रदेश’ के नाम से विख्यात केरल में पिछले कुछ सप्ताहों के दौरान कालीमिर्च, अदरक (सौंठ), कॉफ़ी एवं धान आदि का भाव तेज होने से उत्पादकों को राहत मिली है। लम्बे समय से भाव नरम होने के कारण उत्पादकों पर भारी दबाव बना हुआ था। कीमतों में इस वृद्धि को अप्रत्याशित माना जा रहा है।

क्योंकि नई फसल की कटाई-तैयारी का अभी पीक सीजन चल रहा है। जनवरी में कॉफ़ी का दाम बढ़कर 10,000 रुपए प्रति क्विंटल पर पहुंचा और फिर बढ़ते हुए 15,000 रुपए प्रति क्विंटल के सर्वकालीन सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया।

इसी तरह कालीमिर्च का भाव 40,000-50,000 रुपए प्रति क्विंटल चल रहा था मगर पिछले तीन सप्ताह के दौरान उछलकर 60,000 रुपए प्रति क्विंटल पर पहुंच गया। वायनाड में पिछले दो दशकों के दौरान कालीमिर्च का उत्पादन लुढ़ककर महज 10 प्रतिशत रह गया है क्योंकि रोगों-कीड़ों के साथ-साथ प्रतिकूल मौसम से भी वहां फसल को भारी क्षति हुई है।

वायनाड क्षेत्र में साबुत सुपारी तथा रबड़ के दाम में भी वृद्धि हुई है मगर भारी इजाफा अदरक-सौंठ के दाम में देखा जा रहा है। इसका भाव उछलकर 13,000 रुपए प्रति बोरी (60 किलो की प्रत्येक बोरी) के एतिहासिक रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है।

आगामी समय में भी इसका दाम ऊंचा और मजबूत रहने की सम्भावना है क्योंकि इसके उत्पादन में गिरावट आने के संकेत मिल रहे हैं। वायनाड जैसे प्रमुख उत्पादक क्षेत्र में कालीमिर्च, अदरक एवं कॉफ़ी तथा सुपारी आदि का भाव तेज होने से खपत केन्द्रों पर इसका सकारात्मक असर पड़ सकता है। वायनाड जिले में मौसम की हालत पूरी तरह अनुकूल नहीं रही। कालीमिर्च का भाव ऊंचा होने के कारण विदेशों से इसका आयात बढ़ने की सम्भावना है।