ईरानी डिमांड से खुश किसान इस बार बढ़ाएंगे बासमती का रकबा

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चंडीगढ़। किसान इस खरीफ सीजन में बासमती धान की खेती 20 प्रतिशत तक बढ़ा सकते हैं। पिछले सीजन में इस फसल से किसानों को अच्छा मुनाफा मिला है। इसके अलावा, बासमती चावल का कैरीओवर स्टॉक कम है और ईरान से डिमांड भी बढ़ गई है। इस स्थिति में बासमती का रोपाई का क्षेत्रफल बढ़ाना किसानों को फायदे का सौदा लग रहा है। हरियाणा एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट के एक अधिकारी ने बताया, ‘बहुत से किसान सामान्य धान के मुकाबले बासमती की ओर शिफ्ट कर सकते हैं क्योंकि पिछले सीजन में उन्हें अच्छा मुनाफा हुआ था।’

उत्तरी राज्यों में नर्सरी में सामान्य धान की रोपाई शुरू हो गई है, जबकि बासमती की आने वाले हफ्तों में होगी। पंजाब में बासमती का रकबा 20-25 प्रतिशत तक बढ़ सकता है क्योंकि पिछले सीजन में इससे किसानों की कमाई में 15-20 प्रतिशत का इजाफा हुआ था। ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट विजय सेठिया का कहना है, ‘पिछले साल बासमती की इंटरनैशनल डिमांड सामान्य के मुकाबले काफी अच्छी थी। इस वजह से कैरीओवर स्टॉक भी काफी कम बचा हुआ है। हमें लगता है कि आने वाले महीनों में भी बासमती चावल के मार्केट में मजबूती बनी रहेगी।’

भारत के बासमती एक्सपोर्ट मार्केट में प्रीमियम वेरायटी का हिस्सा तकरीबन 85 प्रतिशत है। 2018-19 में खासतौर पर ईरान से डिमांड बढ़ने की वजह से यह 10 प्रतिशत बढ़ गया था। अमेरिका और ईरान के आपसी तनाव के चलते ईरानी मार्केट में किसी और देश का सेंध लगा पाना काफी मुश्किल है। हालांकि, निर्यातक अगले सीजन में भुगतान को लेकर चिंतित हैं। एग्रीकल्चरल एंड प्रोसेस्ड फूड प्रॉडक्ट्स एक्सपोर्ट डिवेलपमेंट अथॉरिटी (एपीईडीए) के एक अधिकारी ने बताया, ‘अंतरराष्ट्रीय तनाव के चलते ईरान को बासमती निर्यात का रास्ता खोज लिया गया है। अब आमतौर पर कोई दिक्कत होने पर शिपमेंट संयुक्त अरब अमीरात से होकर जाता है।’

भारत से निर्यात होने वाले कुल बासमती का एक चौथाई हिस्सा ईरान खरीदता है, लेकिन 2018-19 में ट्रेड वॉल्यूम लगातार बढ़ा है। इसे अच्छा संकेत माना जा रहा है। ईरान ने 2018-19 में 14 लाख टन बासमती खरीदा था जबकि आमतौर इसकी डिमांड 10 लाख टन रहती है। 2018-19 में भारत का कुल बासमती निर्यात 44.15 लाख टन रहा, जबकि इससे पिछले वित्त वर्ष में 40.56 लाख टन एक्सपोर्ट हुआ था।

व्यापारियों का कहना है कि भारत और ईरान के बीच मौजूदा ट्रेड बैलेंस बासमती के पक्ष में है और भुगतान पर कोई बुरा असर नहीं पड़ेगा। हालांकि, अगर अमेरिका और ईरान के बीच तनाव बढ़ता है तो निर्यातकों की दिक्कतें भी बढ़ जाएंगी। ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर विनोद कुमार कौल ने कहा, ‘अगले कुछ महीनों तक ईरान के साथ चावल व्यापार में भुगतान में कोई दिक्कत नहीं दिखाई दे रही है, लेकिन नई फसल आने तक हालात बिगड़ सकते हैं।’