आयकर विभाग का ई-अभियान, गड़बड़ी करने वाले टैक्सपेयर्स की होगी पहचान

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15 मार्च तक जमा करना होगा ‘सही’ टैक्स, वरना होगी मुश्किल

नई दिल्ली। Income Tax Department’s e-campaign: इनकम टैक्स विभाग ने एक नया ई-अभियान शुरू किया है, जिसका उद्देश्य 2023-24 में जरूरी फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन करने वाले लोगों को उनकी “वास्तविक” इनकम घोषित करने के लिए प्रोत्साहित करना है। यह अभियान टैक्सपेयर्स को अपनी एडवांस टैक्स देनदारी की सही गणना करने और 15 मार्च को या उससे पहले देय टैक्स जमा करने में मदद करेगा।

गड़बड़ी करने वाले टैक्सपेयर्स की पहचान
टैक्स अधिकारियों ने उन टैक्सपेयर्स और संस्थाओं की पहचान की है जिनके द्वारा 2023-24 में किए गए फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन और उनके द्वारा अदा किए गए टैक्स के बीच असमानता है। इस पहल का उद्देश्य इन टैक्सपेयर्स को अपनी वास्तविक आय और ट्रांजैक्शन के आधार पर “सही” टैक्स का भुगतान करने के लिए प्रोत्साहित करना है। यह करदाता सेवा पहल का हिस्सा है, और टैक्स विभाग ई-अभियान चला रहा है।

इस अभियान के तहत, आयकर विभाग उन लोगों को ई-मेल या एसएमएस के माध्यम से सूचित करते हुए अनुरोध कर रहा है कि वे वास्तविक आय और ट्रांजैक्शन के आधार पर “सही” टैक्स का भुगतान 15 मार्च के पहले कर दें।

कानून के अनुसार, 10,000 रुपये से अधिक की कर देनदारी वाले सैलरीड, व्यवसायियों और फ्रीलांसरों को एडवांस टैक्स का भुगतान करना होता है। यह चार किस्तों में जमा किया जाता है, और अंतिम किश्त 15 मार्च, 2024 को करनी होगी। एडवांस टैक्स सरकार को अपने रिसोर्स फ्लो को बेहतर ढंग से मैनेज करने में मदद करता है, क्योंकि यह पूरे साल के दौरान टैक्स राजस्व का एक समान फ्लो बनाता है।

टैक्स विभाग कर रहा बड़े ट्रांजैक्शन का विश्लेषण
इनकम टैक्स विभाग ने एक बयान में कहा है कि वह पारदर्शिता बढ़ाने और स्वैच्छिक टैक्स अनुपालन को बढ़ावा देने के लिए बड़े फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन की जानकारी का विश्लेषण कर रही है। यह जानकारी सालाना सूचना विवरण (AIS) मॉड्यूल में दिखती है और व्यक्तियों/संस्थाओं को देखने के लिए उपलब्ध है। AIS में ‘बड़े लेनदेन’ के मूल्य का उपयोग इस विश्लेषण को करने के लिए किया गया है।

टैक्स अधिकारी जानकारी इकट्ठा करने और खामियों को दूर करने के लिए बड़े डेटा और AI सहित टेक्नॉलजी का उपयोग कर रहे हैं। इससे उन्हें टैक्स चोरी को रोकने और कर राजस्व में वृद्धि करने में मदद मिल रही है। इसके अलावा वे टैक्सपेयर्स को इलेक्ट्रॉनिक रूप से जानकारी का एक्सेस दे रहे हैं। ताकि कर अधिकारियों के साथ व्यक्तिगत बातचीत की जरूरत न रहे।