आतंकवाद किसी भी देश के विकास में बाधक: लोकसभा अध्यक्ष बिरला

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टोक्यो। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि आतंकवाद से न सिर्फ समाज को नुकसान पहुंचता है, बल्कि इससे अर्थव्यवस्था और किसी भी देश के विकास को भी झटका लगता है। यह बात उन्होंने जापान की राजधानी टोक्यो में आयोजित जी-20 देशों (पी 20) की संसदों के अध्यक्षों के छठे शिखर सम्मेलन में कही। वे यहां भारतीय शिष्टमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं।

बिरला ने कहा कि आज विश्व विभिन्न चुनौतियों से जूझ रहा है, जोकि न केवल विकास की दिशा में किए जा रहे प्रयासों को रोकती हैं, बल्कि मानवता के लिए भी गंभीर खतरा पैदा कर रही है । इनमें सबसे पहली और प्रमुख चुनौती आतंकवाद है। आतंकवाद मौजूदा विकास को नष्ट कर देता है।

उन्होंने कहा कि दूसरी प्रमुख चुनौती जलवायु परिवर्तन की है, जो न केवल हमारे ग्रह का स्वरूप बदल रही है, बल्कि भावी पीढिय़ों के लिए गंभीर जोखिमों तथा अस्थिरता का भी सृजन कर रही है। जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर समान और साझी किन्तु अलग-अलग जिम्मेदारियों के सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए एक समग्र तरीके से विचार करने की आवश्यकता है।

बिरला के मुताबिक भारत का राष्ट्रीय विकास लक्ष्य और ‘सबका साथ, सबका विकास’ का एजेंडा अंतरराष्ट्रीय सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के साथ बिल्कुल तालमेल खाता है। उन्होंने बताया कि विकास एजेंडे के लक्ष्य को प्राप्त करने की गति को बढ़ाने के लिए भारत सरकार ने ‘स्ट्रेटेजी फॉर न्यू इंडिया 75Ó योजना आरंभ की है। इसका उद्देश्य 2024 तक भारत को 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनाना है।

इससे पहले ओम बिरला ने ‘मानव केन्द्रित समाज की ओर नूतन प्रौद्योगिकी का सदुपयोग’ विषय पर सत्र में पीठासीन अधिकारियों को सम्बोधित किया। उन्होंने कहा कि भारत के लिए डिजिटलीकरण पारदर्शी, समावेशी, सतत और प्रभावी ढंग से 1 अरब 32 करोड़ लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने का अभूतपूर्व अवसर प्रदान कर रहा है।

आधार के माध्यम से भारत में 1 अरब 24 करोड़ लोगों को डिजिटल पहचान दी है। भारत यूपीआई आधारित भारत इंटरफेस फॉर मनी (भीम) के माध्यम से डिजिटल भुगतान के युग में प्रवेश कर रहा है और प्रधानमंत्री जन धन योजना के अंतर्गत 37 करोड़ से अधिक नए लाभार्थियों के बैंक खाते खोले गए हैं।

बिरला ने कहा कि भारत में डिजिटल बदलाव ने स्त्री-पुरुष असमानता को भी सफलतापूर्वक कम किया है। भारत में आईटी सेवा उद्योग में लगभग 41.4 लाख लोग कार्य कर रहे हैं, जिनमें से 30 प्रतिशत महिलाएं हैं।

बिरला ने कहा कि सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के उपयोग से न केवल कामकाज अधिक पारदर्शी और कुशलतापूर्वक हो रहा है, बल्कि कार्य का निर्वहन अधिक प्रभावी ढंग से हो रहा है। संसद के काम-काज में भी डिजिटल तकनीक का अधिकतम उपयोग शुरू किया गया है। बिरला मैक्सिको, इंडोनेशिया, रूस, नीदरलैंड और अन्य देशों के पीठासीन अधिकारियों से भी मिले।