Wheat MSP: बाजार भाव ऊंचे होने से किसानों की सरकारी कांटे पर गेंहू बेचने में रुचि नहीं

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-कृष्ण बलदेव हाडा-
कोटा। Wheat MSP: राजस्थान के कोटा संभाग में भारतीय खाद्य निगम मंडल के अधीन पांच राजस्व राजस्व जिलों में सहकारी केंद्रों पर गेहूं की खरीद जारी है, लेकिन खुले बाजार में किसानों को अच्छे दाम मिलने के कारण पर्याप्त गेहूं सरकारी कांटो पर नहीं पहुंच पा रहा है।

इस वर्ष भारतीय खाद्य निगम मंडल कार्यालय कोटा के अधीन राजस्व जिला कोटा, बारां, बूंदी, झालावाड एवं सवाई माधोपुर में रबी विपणन वर्ष 2024-25 में समर्थन मूल्य के तहत गेंहू की खरीद के लिए निगम को 35 केंद्र तथा राज्य एवं अन्य केन्द्रीय एजेंसियों को 124 केंद्र आवंटित किये हैं, जिनमें समर्थन मूल्य पर गेंहू की खरीद किया जाना है।

अब तक 1928 किसान ही उनकी उपज बेचने के लिए इन केंद्रों पर पहुंचे हैं, जबकि पूर्व में अच्छे भाव मिलने की उम्मीद में 27 हजार 934 किसानों ने खरीद के लिए पंजीकरण करवा लिया था। हालांकि पंजीकरण का काम अभी भी चल रहा है एवं 25 जून तक अनवरत् रूप से जारी रहेगा।

भारतीय खाद्य निगम के खरीद केंद्रों पर अपेक्षा से कम किसानों के अपनी उपज बेचने के लिए पहुंचने की बड़ी वजह यह बताई जाती है कि भारत सरकार ने इस वर्ष गेंहू का समर्थन मूल्य 2275 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया है। इसके ऊपर 125 रुपये प्रति क्विंटल बोनस घोषित किया है। इस हिसाब से किसानों को प्रति क्विंटल 2400 रुपये का भुगतान होगा। जबकि खुले बाजार में किसानों को नये गेंहू के दाम 2350 से 2800 रुपए प्रति क्विंटल मिल रहे हैं। किसानों को उनकी बेची हुई जिंस का व्यापारी-आढ़तिये भुगतान भी हाथों-हाथ कर रहे हैं।

हालांकि भारतीय खाद्य निगम की ओर से यह दावा किया गया है कि कृषि उपज बेचने आने वाले किसानों को उनकी बेची उपज का भुगतान भी 48 घंटों में उनके जन आधार लिंक खाते में जमा करवा दिया जाएगा। अब तक 1928 किसानों को उनकी उपज 15 हजार 991 एमटी का तुरंत समय पर भुगतान कर दिया गया है। अभी तक लगभग 18.47 करोड़ रुपए का भुगतान किसानों को किया चुका है।

किसानों का कहना है कि व्यापारी तो आम तौर पर बिना किसी कागजी औपचारिकता के किसानों को उनकी उपज का लगे हाथ नकद भुगतान कर देते हैं लेकिन सरकारी केंद्रों पर तो किसानों को पंजीकरण से लेकर भुगतान हासिल करने तक कई कागजी औपचारिकता पूरी करनी पड़ती हैं, जिसके झंझट से बचने के लिए किसान सीधे व्यापारी को उपज बेचना सहज समझते हैं।