RBI ने बैंकों से दरों में और कटौती करने को कहा

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मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने नीतिगत दरों में कटौती का पूरा लाभ नहीं देने को लेकर बैंकों को दोष देते हुए बुधवार को कहा कि वह कोष की सीमांत लागत आधारित ब्याज दर प्रणाली (MCLR) से असंतुष्ट है।

उसने कहा कि वह बाजार आधारित नया मानक पर विचार कर रहा है ताकि ग्राहकों को दरों में कटौती का बेहतर तरीके से लाभ मिल सके। शीर्ष बैंक ने कहा कि बैंकों के लिए कुछ सेगमेंट्स में ब्याज दरों में कटौती की और गुंजाइश है।

केंद्रीय बैंक की 2017-18 की तीसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा के बाद रिजर्व बैंक के डेप्युटी गवर्नर विरल आचार्य ने संवाददाताओं से कहा, ‘ग्राहको को नीतिगत दर में कटौती का लाभ बेहतर तरीके से देने को लेकर अप्रैल 2016 में पेश MCLR का अनुभव पूरी तरह संतोषजनक नहीं है।

आचार्य ने कहा कि रिजर्व बैंक ने MCLR सिस्टम के विभिन्न पहलुओं के अध्ययन और बैंक ब्याज दर को सीधे बाजार को निर्धारित करने वाले मानकों से जोड़ने की संभावना तलाशने को लेकर आंतरिक अध्ययन समूह गठित किया है। उन्होंने कहा कि समूह इस साल 24 सितंबर तक अपनी रिपोर्ट दे देगा।

हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि MCLR आधारित ब्याज दर के जरिये बढ़ा हुआ लाभ देने के मामले में अप्रैल 2016 में पुरानी व्यवस्था आधार दर की जगह लाई गई यह प्रणाली सकारात्मक रही।

उल्लेखनीय है कि MCLR पेश किये जाने और ब्याज दरों में कटौती के बाावजूद रिजर्व बैंक बार-बार बैंकों से यह शिकायत करता रहा है कि उसने नीतिगत दर में कटौती का पूरा लाभ ग्राहकों को देने व आर्थिक वृद्धि के लिए धीमे पड़े निजी निवेश को गति देने में मदद के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए।

आचार्य ने यह भी कहा कि फंसे कर्ज NPA के मोर्चे पर जारी समाधान प्रक्रिया से ग्राहकों को दर में कटौती का बेहतर तरीके से लाभ दिया जा सकेगा क्योंकि बैंक की बैंलस शीट पर दबाव कम होगा।