PF पर ब्याज दर घटाने के लिए सरकार का EPFO पर दबाव

761

नई दिल्ली। सरकार की प्रॉविडेंट फंड (PF) के लिए ब्याज दर में कमी की तैयारी कर रही है। इसके लिए वित्त मंत्रालय ने इम्प्लॉई प्रॉविडेंट फंड ऑर्गेनाइजेशन (EPFO) को पीएफ की ब्याज दर को सालाना 8.65 फीसदी से कम करने के लिए कहा है। गौरतलब है कि ईपीएफओ 8.5 करोड़ इम्प्लाइज को यह ब्याज दर ऑफर करने जा रहा था। मामले की जानकारी रखने वाले अधिकारियों के मुताबिक, वित्त मंत्रालय को चिंता है कि पीएफ पर अधिक रिटर्न देने पर बैंकों के लिए आकर्षक ब्याज दरें देना संभव नहीं होगा, जिसका असर अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा

बनी हुई है मुश्किल की स्थिति
श्रम मंत्रालय के अधीन आने वाले ईपीएफओ ने लोकसभा चुनाव से पहले मार्च,2019 में समाप्त वित्त वर्ष के लिए 8.65 फीसदी ब्याज दर का ऐलान किया था। हालांकि, फंड्स के खराब प्रदर्शन को देखते हुए यह ब्याज दर सही नहीं लग रही है। अधिकारियों के मुताबिक, महंगाई में 3 फीसदी इजाफे को देखते हुए बढ़ी हुई ब्याज दर उन लोगों को आकर्षित करेगी जो सेविंग करना चाहते हैं। हालांकि महंगाई के ही चलते बैंक अपने सेविंग्स डिपॉजिट रेट को बराबर स्तर पर रखने के लिए मजबूर हाे रहे हैं। बैंकों को यह डर भी है कि वे फंड्स के चलते अपने डिपॉजिट गंवा बैठेंगे, जाे कि कर्ज लेने वालों के लिए संकट की बात है।

ज्यादा रिटर्न देना EPFO को पड़ेगा भारी
देश की कुल 20 फीसदी वर्कफोर्स ईपीएफओ की सदस्य है, जो हर महीने अपनी सैलरी का कुछ हिस्सा प्रॉविडेंट फंड में निवेश करते हैं। ईपीएफओ अपने फंड का 85 फीसदी से भी ज्यादा भाग केंद्र और राज्यों की सिक्योरिटीज और ऊंची रेटिंग वाले कॉरपोरेट बॉन्ड्स में निवेश करता है। 190 अरब डॉलर की एसेट संभालने वाले ईपीएफओ ने तकरीबन 8.31 करोड़ डॉलर (5.75 अरब रुपए) मुश्किलों से जूझ रही IL&FS के बॉन्ड्स में निवेश किए थे।

ज्यादा रिटर्न न दें ईपीएफओ
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के अप्रूवल के बाद श्रम मंत्रालय को सौंपे गए मेमोरेंडम में लिखा, ‘IL&FS में निवेश के चलते फंड को नुकसान हुआ होगा। ऐसे में श्रम व रोजगार मंत्रालय को वित्त वर्ष 2018-19 के लिए ब्याज दर पर फिर से विचार करने की सलाह दी जाती है।’