NEET: राजस्थान के छात्रों को 85% सीटों पर भी नहीं मिलता स्टेट कोटे का फायदा

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जयपुर। नीट की फाॅर्म फिलिंग प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स को मेडिकल कॉलेज में 15 प्रतिशत सेंट्रल और 85 प्रतिशत सीटों पर स्टेट कोटे से एडमिशन मिलता है। एम्स व जिपमेर को छोड़कर अधिकांश कॉलेजेस की 15 प्रतिशत सीटों पर रैंक के आधार पर किसी भी राज्य का छात्र किसी भी मेडिकल कॉलेज में दाखिला ले सकता है। लेकिन राज्य के मेडिकल कॉलेजों की 85 प्रतिशत सीटों पर उसी राज्य के छात्रों को ही एडमिशन मिलता है।

इस मामले में कर्नाटक और महाराष्ट्र के छात्रों को सबसे अधिक फायदा मिलता है। वहीं राजस्थान में इस कोटे का लाभ छात्रों को कम मिलता है। ऐसे मामले भी सामने आए हैं जहां महाराष्ट्र व कर्नाटक के छात्रों को राजस्थान के छात्र से कम अंक होने के बावजूद उन्हें अपने राज्य के कॉलेजों की 85 प्रतिशत सीटों पर दाखिला मिला है।

नीट की फाॅर्म फिलिंग के समय छात्रों को स्टेट कोड ऑफ एलिजिबिलिटी भरनी होती है। जिसमें यह बताना होता है कि छात्र किस राज्य का रहने वाला है। भले ही उसका केंद्र किसी भी राज्य में आए, लेकिन योग्यता के आधार पर स्टेट तय किया जाता है। इसी आधार पर स्टेट मेरिट तैयार होती है, इससे 85 प्रतिशत सीटों पर दाखिला मिलता है। ऐसे में उन राज्यों को फायदा मिलता है जहां मेडिकल सीट्स ज्यादा हैं।

ऐसे समझें स्टेट कोटे की गणित
राजस्थान के सरकारी कॉलेजों की 2600 सीटों में से 2210 स्टेट कोटे की हैं। इस साल 1.38 लाख नीट रजिस्ट्रेशन हुए हैं। वहीं गुजरात के 11 सरकारी कॉलेजों में 3650 में से 3102 सीटें स्टेट की हैं। वहीं नीट रजिस्ट्रेशन की संख्या 79,865 है। कम रजिस्ट्रेशंस व ज्यादा सीटों का फायदा गुजरात में मिलेगा।

आल इंडिया मेरिट में प्रवेश
मेडिकल काउंसलिंग एक्सपर्ट यश खंडेलवाल ने बताया कि राजस्थान के छात्र श्याम को नीट में 566 अंक पाने के बावजूद स्टेट कोटे में एडमिशन नहीं मिला लेकिन इन अंकों पर उसे कर्नाटक का सरकारी मेडिकल कॉलेज अलॉट हो गया।