Kota Dussehra 2023: 130वें राष्ट्रीय मेला दशहरा का हुआ रंगारंग आगाज

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ध्वजारोहण के साथ सम्भागीय आयुक्त ने की मेले के उद्घाटन की औपचारिक उद्घोषणा

कोटा। National Dussehra Fair 2023: मेला दशहरा 2023 का रविवार को श्रीराम रंगमंच पर ध्वजारोहण और सांस्कृतिक संध्या के साथ भव्य आगाज हुआ। सम्भागीय आयुक्त डॉ. प्रतिभा सिंह ने ध्वजारोहण से पहले मेला उद्घाटन की औपचारिक उद्घोषणा की।

उन्होंने मेला अधिकारी एवं निगम आयुक्त अनुराग भार्गव, कोटा दक्षिण नगर निगम आयुक्त सरिता, सहायक मेला अधिकारी प्रेमशंकर शर्मा, उपायुक्त दयावती सैनी, भावना शर्मा समेत अन्य अधिकारियों के साथ गुब्बारे उड़ाकर मेले का उद्घाटन किया। इस दौरान भव्य आतिशबाजी की गई। जिससे आसमान रंग बिरंगी अशर्फियों से नहा उठा।

इसके बाद पर्यटन विभाग के तत्वावधान में आयोजित रंगारंग कार्यक्रम में लोकगीत, संगीत और नृत्य की अद्भुत छटा बिखरी। राजस्थान के विभिन्न जिलों से आए हुए लंगा गायक लोक कलाकारों ने अपने कार्यक्रमों से सबका मन मोह लिया।

बाड़मेर से आए लोक गायकों ने कार्यक्रम की शुरुआत “केसरिया बालम आओ नी पधारो म्हारे देस…” से किया। इसके बाद ढोलक, हारमोनियम और खड़ताल पर राजस्थानी लोकगीत “निंबुडा..” की प्रस्तुति दी तो हर कोई ताली बजाने पर मजबूर हो गया। उन्होंने “दमा दम मस्त कलंदर…” लोकगीत पर माहौल में रूहानी रंग भर दिए।

इसके बाद गौतम परमार के दल ने राजस्थानी भवई नृत्य प्रस्तुत किया। उन्होंने सिर पर 11 कलश रखकर और हाथों में दीये लेकर अद्भुत नृत्य की प्रस्तुति दी। गौतम परमार की टीम ने “इतल पीतल म्हारो बेवडो.. मोर बोले रे आपरे बाड़ा में.. लेती जाई जो संदेशो लेती जयजो… हरिया बाग में बोले सुवटिया.. म्हारी सवा लाख की लूम गुम गई…” सरीखे गीतों पर नृत्य कर दर्शकों का मन मोह लिया।

इस दौरान बरखा जोशी ने “बालम जी म्हारा रिमझिम बरसे नेह.. सागर पानी भरबा जाऊं सा, नजर लग जाए..” पर नृत्य की प्रस्तुति दी। हाडोती की कंजर जाति की युवतियों द्वारा किए जाने वाले चकरी नृत्य की प्रस्तुतियों ने कोटा बारां की संस्कृति को उजागर किया। युवतियों ने ढोल की थाप पर “मीठी लागे रे … म्हारो बाल मुकुंद बनवारी रे ..” गीतों पर अनवरत नृत्य किया।

राजस्थान की सपेरा जनजाति के लोक गायकों के द्वारा पूंगी वाद्य यंत्र पर हारमोनियम, ढोलक और खड़ताल की संगत करते हुए लोकगायन किया। तो सपेरा जनजाति की युवतियों ने जैसलमेर की लीला देवी के नेतृत्व में “काल्यो कूद पडयो मेला में.. म्हारे छैल भंवर.. लाडली लूम गुम गई मेला में ..” जैसे गीतों पर नृत्य की प्रस्तुति दी। इसके बाद पल्लो लटके… गीत पर घुटना चकरी नृत्य की प्रस्तुति दी गई।

वहीं रजनीकांत एंड पार्टी द्वारा सिर पर अग्नि कलश रखकर “वारी जाऊं चिरमी रे..” गीत पर चरी लोक नृत्य की प्रस्तुति दी गई। कार्यक्रम के अंत में मथुरा और वृंदावन के मयूर नृत्य से माहौल कृष्णमय हो गया। भरतपुर के अशोक शर्मा के साथ आए कलाकारों ने “बरसाने की मोरकुटी में मोर बन आयो रे ..लाडली दो बातें करवा दो..” सरीखे गीतों की प्रस्तुति दी। उनके साथ महिला कलाकारों ने मयूर का रूप धारण कर नृत्य करते हुए राधे रानी को रिझाया तो चारों ओर राधे-राधे गूंज उठा।