GST की चोरी अब और भी मुश्किल, जानिए कैसे

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नई दिल्ली।अब लगातार छह माह तक वस्तु एवं सेवा कर (GST) रिटर्न दाखिल न करना कारोबारियों को महंगा पड़ सकता है। एक सरकारी अधिकारी के मुताबिक, जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) ऐसी सूचना एवं तकनीक (आईटी) प्रणाली विकसित कर रहा है, जो लगातार छह माह तक जीएसटी रिटर्न दाखिल नहीं करने वाले कारोबारियों को ई-वे बिल जेनरेट नहीं करने देगा।

एक अधिकारी ने कहा, ‘लगातार छह महीने तक जीएसटी रिटर्न दाखिल नहीं करने पर ई-वे बिल जारी होने से रोकने वाली प्रणाली जैसे ही काम करना शुरू कर देगी, नए नियम की अधिसूचना जारी कर दी जाएगी।’अधिकारियों का मानना है कि इस कदम से जीएसटी चोरी पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी। अप्रैल-दिसंबर की अवधि में केंद्रीय कर अधिकारियों के समक्ष जीएसटी चोरी/जीएसटी नियमों के उल्लंघन के 3,626 मामले सामने आए हैं।

टैक्स चोरी रोकने के उपायों के तहत 50 हजार रुपये से अधिक कीमत के माल की अंतरर्राज्यीय ढुलाई के लिए एक अप्रैल, 2018 को E-WAY बिल प्रणाली लागू की गई थी। राज्यों के भीतर 50 हजार रुपये से अधिक कीमत के माल को लाने-ले जाने के लिए 15 अप्रैल, 2018 को यही प्रणाली लागू की गई।

50 हजार रुपये से अधिक कीमत के माल की ढुलाई के दौरान अगर जीएसटी इंस्पेक्टर ई-बे विल की मांग करता है, तो इसे दिखाना अनिवार्य है। अधिकारियों का मानना है कि राजस्व बढ़ाने और टैक्स के नियमों का अनुपालन बढ़ाने के लिए सख्त से सख्त नियम लागू करना पड़ेगा। इसके लिए राजस्व विभाग ई-वे बिल सिस्टम को एनएचएआई के FASTAG मैकेनिज्म से जोड़ने पर काम कर रहा है।

मालों की ढुलाई को ट्रैक करने में मदद के लिए अप्रैल में फास्टैग मैकेनिज्म को शुरू किया गया था। दरअसल, जांच अधिकारियों को सूचना मिली थी कि कुछ ट्रांसपोर्टर्स सिंगल ई-वे बिल जेनरेट कर कई ट्रिप लगा रहे हैं। ई-वे बिल को फास्टैग से जोड़ देने पर न सिर्फ वाहनों के लोकेशन का पता लगाने में मदद मिलेगी, बल्कि वह कितनी बार एनएचएआई के टोल प्लाजा को पार करता है, इसका पता भी चल जाएगा।