ड्राइविंग लाइसेंस के लिए अब नहीं देना होगा RTO पर टेस्ट, बदल गया नियम

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    नई दिल्ली। ड्राइविंग लाइसेंस को प्राप्त करने की प्रक्रिया को और भी आसान बनाते हुए सरकार ने इसके नियमों में एक बड़ा बदलाव किया है। ड्राइविंग लाइसेंस आवेदकों को अब क्षेत्रीय परिवहन कार्यालयों (RTO) के माध्यम से ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करने की कठिन प्रक्रिया से नहीं गुजरना पड़ेगा। ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने को लेकर केंद्रीय सड़क मंत्रालय का संशोधित नियम 1 जुलाई से लागू हो गया है।

    दरअसल, परिवहन मंत्रालय ने ड्राइवर प्रशिक्षण केंद्रों (ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर्स) को मान्यता देने के लिए नए नियमों को अधिसूचित किया है। जहां उम्मीदवारों को उच्च गुणवत्ता वाले ड्राइविंग पाठ्यक्रम प्रदान किए जाएंगे, और एक बार परीक्षण पास हो जाने के बाद, उन्हें ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करने के समय ड्राइविंग परीक्षण से छूट दी जाएगी।

    ट्रेनिंग: इस नए नियम के अनुसार मान्यता प्राप्त ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर्स आवेदकों को उच्च गुणवत्ता वाले प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए सिमुलेटर के साथ-साथ डेडिकेटेड ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक से लैस होंगे। जहां पर आवेदकों को ड्राइविंग के बारे में पूरी ट्रेनिंग दी जाएगी ताकि वो ड्राइविंग की बारीकियां सीख सकें और रोड पर सुगमता से ड्राइव कर सकें।

    हल्के वाहन सीखने का समय: मंत्रालय द्वारा जारी की गई इस अधिसूचना में कहा गया है कि मान्यता प्राप्त चालक प्रशिक्षण केंद्रों में हल्के मोटर वाहन ड्राइविंग पाठ्यक्रम की अवधि कोर्स शुरू होने की तारीख से अधिकतम 4 सप्ताह की अवधि में 29 घंटे है। यानी कि आवेदक को ड्राइविंग कोर्स शुरु होने की घोषणा के बाद अधिकतम 4 सप्ताह में ड्राइविंग सीखना होगा। ये भी बताया गया है कि, इस कोर्स में थ्योरी और प्रैक्टिस दोनों शामिल होगा।

    भारी वाहन सीखने का समय:वहीं हैवी मोटर व्हीकल यानी कि भारी वाहनों की ड्राइविं सीखने के लिए मंत्रालय द्वारा समय सीमा थोड़ी ज्यादा दी गई है। इस अधिसूचना के अनुसार मान्यता प्राप्त चालक प्रशिक्षण केंद्रों में मध्यम और भारी मोटर वाहन ड्राइविंग पाठ्यक्रम की अवधि छह सप्ताह की अवधि में 38 घंटे है। इस कोर्स को भी प्रैक्टिकल और थ्योरी में विभाजित किया गया है। इसके अलावा ड्राइवरों को अन्य सड़क सबंधित जरूरी नियमों के साथ ही नैतिक और विनम्र व्यवहार के बारे में कुछ बुनियादी पहलू भी सिखाए जाएंगे।

    ये मान्यता प्राप्त ड्राइविंग सेंटर्स न केवल हल्के और भारी वाहनों की ड्राइविंग की ट्रेनिंग देंगे, बल्कि इन्हें किसी इंडस्ट्री से संबंधित वाहनों का भी प्रशिक्षण देने की अनुमति होगी। दरअसल, सरकार का मानना है कि ये नए नियम कुशल ड्राइवरों की कमी को भी पूरा करेंगे। सक्षम ड्राइवरों की कमी इंडियन रोड्स पर भारी मात्रा में देखने को मिलती है और ये इस क्षेत्र में प्रमुख मुद्दों में से एक है।

    बता दें कि, इन मान्यता प्राप्त चालक प्रशिक्षण केंद्रों के लिए दी गई मान्यता पांच साल की अवधि तक के लिए वैध होगी। इन्हें आगे भी नवीनीकृत किया जा सकता है। सड़क नियमों के ज्ञान की कमी के कारण बड़ी संख्या में सड़क दुर्घटनाएं होती हैं।