राजस्थान में मंडी कैंपस के बाहर वन उत्पादों की बिक्री पर अब मंडी शुल्क नहीं लगेगा

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जयपुर। राजस्थान में कृषि मंडी परिसरों के बाहर वन उत्पाद बेचने वालों को अब किसी तरह का टैक्स नहीं लगेगा। कृषि उपज मंडी कैंपस के बाहर तेंदू पत्ता, काष्ठ सहित सभी वन उत्पादों पर कृषि मंडी शुल्क और कृषि कल्याण शुल्क अब नहीं वसूला जाएगा। इसके लिए वन विभाग और कृषि विभाग ने आपसी बातचीत के बाद फैसला किया है। इस फैसले के बाद 40 साल से चली आ रही व्यवस्था खत्म हो गई है।

प्रधान मुख्य वन संरक्षक (हेड ऑफ फॉरेस्ट फोर्स ) श्रुति शर्मा का कहना है- वन विभाग तेंदू पत्ता, काष्ठ और अकाष्ठ वन उपजों के व्यापार से जुड़े व्यापारियों की मांग को ध्यान में रखते हुए राज्य के मंडी प्रांगणों के बाहर इन उत्पादों को कृषि मंडी शुल्क और कृषक कल्याण फीस की वसूली से मुक्त कर दिया गया है। वन विभाग ने इसके लिए कृषि विभाग को प्रस्ताव भिजवाया गया था। दोनों विभागों ने आपसी सहमति के बाद कृषि उपज मंडी अधिनियम में संशोधन किया।

संशोधन के बाद तेंदू पत्ता, काष्ठ और अकाष्ठ के व्यापार से जुड़े व्यापारियों ने यदि कहीं कृषि मंडी शुल्क या कृषक कल्याण फीस का भुगतान किया गया है, तो वे दी गई फीस की राशि को संबंधित मंडी से वापस ले सकेंगे। अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक (उत्पादन) आनंद मोहन ने बताया कि इस फैसले से पिछले 30-40 साल से चली आ रही पुरानी व्यवस्था समाप्त हो जाएगी। इससे वन उत्पादों के व्यापार से जुड़े व्यापारियों को बड़ी राहत मिलेगी।