रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए ध्यान, योग एवं प्राणायाम जरूरी

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कोटा। आईएसटीडी कोटा चैप्टर एवं कोटा ज्ञानद्वार एजुकेशन सोसायटी की ओर से ‘हम, तुम और कोरोना’ के तहत व्याख्यान श्रृंखला में छठा ऑनलाइन वेबीनार ‘कोरोना और ध्यान, प्राणायाम’ विषय पर आयोजित किया गया।

मीडिया प्रभारी डॉ पारुल ने बताया की कार्यक्रम का आरंभ डॉ अनीता चौहान ने चार्ल्स डार्विन के ‘सर्वाइवल आफ द फिटेस्ट’ सिद्धांत का उल्लेख करते हुए किया। उन्होंने बताया कि आज के समय में नियमित प्राणायाम एवं व्यायाम हमारे सर्वाइवल को सुनिश्चित करने में सहायक हैं । कोरोना वायरस से ठीक हुए रोगियों के लिए प्राणायाम एवं ध्यान बेहद लाभान्वित सहायक साबित हो रहा है। आईएसटीडी कोटा चैप्टर की उपाध्यक्ष डॉ. सुजाता तातेड़ ने कार्यक्रम का संचालन किया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में कोल्हापुर महाराष्ट्र की ‘आर्ट ऑफ़ लिविंग’ से जुड़ी डॉ. अनिमा दहीभाटे तथा डॉ. सुरेखा बसर्गे ने ध्यान एवं प्राणायाम के विभिन्न पक्षों से सहभागियों को परिचित कराया। डॉक्टर अनिमा ने बताया कि जीवन में शारीरिक, मानसिक एवं सामाजिक संतुलन बेहद आवश्यक है तथा 5000 वर्ष पुराने योग, प्राणायाम, ध्यान तथा सुदर्शन क्रिया के द्वारा ही यह संतुलन संभव है । हमें अपने शरीर में चार स्तरों पर कार्य करने की आवश्यकता है। जिसमें स्वास्थ्य, शारीरिक क्रियाएं, नियमित नींद एवं ध्यान को सम्मिलित किया जाता है । शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने के लिए श्वास के स्तर पर कार्य करना होगा क्योंकि जीवन के सभी रहस्य श्वास-उश्वास पर ही निर्भर है।

प्राणायाम से ऊर्जा का संतुलित विस्तार
डॉ सुरेखा बसर्गे ने बताया कि सामान्य जीवन में हम मात्र 30% ही अपने फेफड़ों का इस्तेमाल करते हैं, जबकि फेफड़ों के 80 से 90% इस्तेमाल से स्वस्थ जीवन व्यतीत किया जा सकता है। प्राणायाम से ऊर्जा का संतुलित विस्तार होता है और रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। डॉक्टर सुरेखा ने भ्रामरी, नाड़ीशोधन, ध्यान जैसे प्राणायाम की सही तकनीक के माध्यम से प्रैक्टिस करवाई तथा स्वस्थ जीवन जीने के लिए कुछ बातों पर ध्यान देने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि पानी खूब पिए, संतुलित खाना खाए, खट्टे फल प्रतिदिन खाए, गर्म पानी पिए और प्रतिदिन भाप लें।

ज़ूम द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में 50 सेअधिक प्रतिभागी उपस्थित रहे तथा 300 से अधिक प्रतिभागी फेसबुक लाइव के माध्यम से जुड़े रहे। कार्यक्रम से जुड़े प्रतिभागियों ने विभिन्न सवालों के माध्यम से ध्यान एवं प्राणायाम से जुडी भ्रांतियों को दूर किया । कार्यक्रम के अंत में डॉक्टर पारूल सिंह ने सभी को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि दिन-प्रतिदिन के तनाव और खिंचाव के बीच खुश रहकर प्राणायाम एवं व्यायाम के माध्यम से एक संतुलित जीवन व्यतीत किया जा सकता है।

सक्षम व्यक्ति जरूरतमंदों की मदद अवश्य करें
हम तुम और कोरोना ऑनलाइन सेशंस की सूत्रधार कोटा ज्ञानद्वार की फाउंडर एवं आईएसटीडी कोटा चैप्टर की चेयरपर्सन अनीता चौहान ने अपने सन्देश में कहा कि विपत्ति के इस काल में हमें एक-दूसरे का ख्याल रखने के साथ-साथ मिल-बांट के रहना होगा। हमें अपनी चीजों को बड़े संयम से प्रयोग करते हुए उन लोगों की मदद करनी होगी, जो वास्तव में जरूरतमंद हैं।

अक्षय निधि का गठन करें
जो सक्षम हैं, मैं उन सभी से आग्रह करती हूँ कि अपने वेतन या आय से कुछ राशि काट कर एक अक्षय निधि का गठन करें। अपने क्षेत्र में मजदूरी करने वाले दिहाड़ी मजदूरों और कम कमाने वाले लोगों का ख्याल रखें ताकि आर्थिक बोझ स्थानीय स्तर पर समाज द्वारा साझा किया जा सके। कोरोना वायरस निश्चित रूप से दुनिया के लिए एक विपत्ति है, लेकिन इसका मतलब सर्वनाश नहीं है। निराशा के काले बादलों के पीछे चांदी की चमक वाली रेखाएँ, आशा की किरणों को जगाने के लिए पर्याप्त है। हमें इसी पर ध्यान देने की जरूरत है।”