पिछले चार सालों का आंकड़ा देखने पर पता चलता है कि मैकेनिकल इंजीनियरिंग छात्रों की पसंद के मामले में दूसरे नंबर पर रहा है।
कोटा। इंजीनियर में नया रुझान देखने को मिल रहा है। हालांकि इस साल से देश भर में इस प्रफेशनल कोर्स में सीटों की संख्या 16.3 लाख से घटकर 14.7 लाख होने जा रही है लेकिन आईटी और सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री में अनिश्चितता के इस दौर में भी मैकेनिकल इंजीनियरिंग के प्रति दिलचस्पी बढ़ रही है।
अब बीटेक में कंप्यूटर साइंस को लेकर पहले जैसा क्रेज नहीं दिख रहा है। 2013-14 में 25.44 फीसदी छात्रों ने कंप्यूटर साइंस को चुना था जबकि इस साल करीब 24 फीसदी।
पिछले चार सालों का आंकड़ा देखने पर पता चलता है कि मैकेनिकल इंजीनियरिंग छात्रों की पसंद के मामले में दूसरे नंबर पर रहा है। जहां पहले 20.22 फीसदी छात्र इसे चुनते थे वहीं अब यह आंकड़ा बढ़कर 21.6 फीसदी हो गया है। सिविल और इलेक्ट्रिकल इंजीनियर जैसे कोर्स भी टॉप पर हैं।
आईआईटी मद्रास के निदेशक भास्कर रामामूर्ति ने बताया, इंजीनियर भी बीए, बीकॉम और बीएससी की तरह विस्तृत संभावना वाला कोर्स बन गया है। यहां से छात्र कई तरह के कोर्स करने जाते हैं।’
मैकेनिकल इंजीनियरिंग के फायदे के बारे में उन्होंने कहा कि यह एक बड़ी ब्रांच है। इस कोर्स को करने के बाद छात्र कई इंडस्ट्रीज में फिट हो सकता है। उन्होंने कहा कि आईटी सेक्टर में अनिश्चितता को देखते हुए भी मैकेनिकल इंजीनियरिंग एक फायदेमंद कोर्स है क्योंकि मकैनिकल के छात्र आईटी कंपनी को जॉइन कर सकते हैं लेकिन अन्य कोर्सों के साथ ऐसा संभव नहीं है।
इंस्टिट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी के वाइस चांसलर जी.डी.यादव ने बताया कि मैकेनिकल इंजिनियरिंग की लोकप्रियता बढ़ रही है क्योंकि मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री को इन इंजिनियरों की जरूरत होती है।