नई दिल्ली। कोरोना काल के इस समय में हजारों लोग RT-PCR और रैपिड टेस्ट करा रहे हैं। वहीं, कुछ लोग एंटीबॉडी टेस्ट भी करा रहे हैं। जबकि बहुत से लोगों को यह नहीं पता कि एंटीबॉडी टेस्ट है क्या? इसके अलावा किस तरह एंटीबॉडी का परीक्षण किया जाता है।
क्या होती है एंटीबॉडी
हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली बहुत ही दिलचस्प है। जब भी हम किसी खतरनाक वायरस या बीमारी से संक्रमित होते हैं तो हमारे शरीर में एक सुरक्षात्मक प्रोटीन का उत्पादन करता है, इसे ही एंटीबॉडी कहा जाता है। यह एंटीबॉडी उस वायरस के ही जैसे होते हैं जो आपके शरीर में प्रवेश कर चुका है। यह एंटीबॉडी प्रोटीन के जरिए ही वायरस की सतह पर पहचान करता है। इसे एंटीजन के नाम से जाना जाता है।
एंटीजन हमारे शरीर में प्रवेश किए गए वायरस को चिन्हित करता है और या तो यह वायरस को डिएक्टिवेट कर देता है या फिर मार देता है। आपको बता दें कि कोविड वायरस से पूरी तरह ठीक होने के बाद ही एंटीबॉडी टेस्ट किया जाता है। इसके जरिए पता चल जाता है कि शरीर ने एंटीबॉडी बना ली है या नहीं।
शरीर बना लेता है बहुत सी एंटीबॉडी
जब भी हमारे शरीर में कोई वायरस प्रवेश करता है तो शरीर बहुत सी एंटीबॉडी का उत्पादन करता है। इन्हें इम्यूनोग्लोबिन के नाम से जाना जाता है। मुख्य तौर पर इम्युनोग्लोबिन दो प्रकार की होती हैं:-
इम्यूनोग्लोबिन एम (IgM) –
यह पहली एंटीबॉडी होती है जिसका उत्पादन हमारा शरीर किसी वायरस या बीमारी से संक्रमित होने पर करता है।
इम्यूनोग्लोबिन जी (IgG) –
इस एंटीबॉडी का उत्पादन शरीर बाद में करता है। यह एंटीबॉडी आपके शरीर में मेमोरी सेल का निर्माण करती हैं ताकि बाद में आपका इम्यून सिस्टम इस वायरस से लड़ने में सक्षम रहे।
क्या है एंटीबॉडी टेस्ट
अगर कोई व्यक्ति कोरोना से संक्रमित है और वह यह जानना चाहता है तो उसे यह बात RT-PCR और रैपिड टेस्ट के जरिए पता चलती है। वहीं अगर मरीज ने कोरोना वायरस को मात दे दी है या फिर उसने वैक्सीनेशन करा लिया हो, तो उसके बाद एंटीबॉडी टेस्ट किया जाता है। इस एंटीबॉडी टेस्ट के जरिए पता चलता है कि क्या आपके शरीर ने कोविड वायरस से लड़ने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली हासिल कर ली है या नहीं।
क्यों किया जाता है एंटीबॉडी टेस्ट
एक्सपर्ट का कहना है कि एंटीबॉडी टेस्ट के जरिए पता लगाया जा सकता है कि यह वायरस कितना खतरनाक है। इसके अलावा इस टेस्ट के जरिए यह भी देखा जा सकता है कि आपने जो वैक्सीन ली है, वह काफी है या इसे फिर से लगवाने की जरूरत है। वहीं, अगर आप इस वायरस से ठीक हो गए हैं तो आप एंटीबॉडी टेस्ट के जरिए एंटीबॉडी की मात्रा शरीर में कितनी है, यह भी पता लगाया जा सकता है।
एंटीबॉडी टेस्ट कैसे कराना सही
एंटीबॉडी टेस्ट किसी भी व्यक्ति का तब किया जाता है जब व्यक्ति कोरोना से ठीक हो चुका हो। एंटीबॉडी हमारे स्लाइवा पर भी मौजूद होती है लेकिन यह टेस्ट उतना ज्यादा कारगर नहीं माना जाता। इसके लिए सही टेस्ट आपके ब्लड के जरिए ही किया जाता है।
यानी इसमें आपका ब्लड लिया जाता है और लैब ले जाकर खून के नमूने की जांच की जाती है। इसमें देखा जाता है कि क्या आपके शरीर ने दोनों इम्यूनोग्लोबिन का निर्माण किया है या नहीं। आमतौर पर एक व्यक्ति का शरीर इम्यूनोग्लोबिन IgG का निर्माण ठीक होने के 14 दिन के बाद ही करता है। यह एंटीबॉडी लंबे शरीर में लंबे समय तक मौजूद रहती है।
किसके लिए है जरूरी
कोरोना से ठीक होने के कुछ समय बाद भी ही शरीर के अंदर एंटीबॉडी बनती है। ऐसे में अगर आप टेस्ट जल्दी करा रहे हैं तो यह आपके लिए फायदेमंद नहीं होगा। आमतौर पर कोरोना से रिकवर होने के 14 से 15 दिन के बाद ही शरीर में इम्यूनोग्लोबिन IgG का निर्माण होता है जो परीक्षण के दौरान पता चल सकते हैं। इसलिए इसका जल्दी टेस्ट कराना सही नहीं होगा। यह आपको नेगेटिव रिपोर्ट दे सकता है।
जबकि इम्यूनोग्लोबिन IgM शरीर के अंदर 4 से 5 दिन में ही बनने लगती है। कोविड 19 से संक्रमण से ठीक होने के कई महीनों बाद भी इम्यूनोग्लोबिन IgG शरीर में मौजूद होते हैं। इसके अलावा वैक्सीनेशन के बाद भी इसके कुछ लक्षण शरीर में देखने को मिल सकते हैं।