गीता सत्संग आश्रम में श्री राम कथा ज्ञान वर्षा नव परायण का तीसरा दिन
कोटा। अयोध्या धाम के श्री हनुमान सेवा समिति के तत्वावधान में श्री गीता सत्संग आश्रम में चल रहे श्री राम कथा ज्ञान वर्षा नव परायण के तीसरे दिन बुधवार को व्यास पीठासीन संत उमाशंकर महाराज ने श्री राम कथा के महत्वपूर्ण प्रसंगों का वर्णन किया।
उन्होंने कहा कि भगवान को माला अर्पण करने वाला मालामाल हो जाता है और जिसको संत माला आशीर्वाद स्वरूप देते हैं वो मालामाल हो जाता है। वृंदा एवं शालिग्राम जी की कथा सुनाते हुए महाराज ने कहा कि शालिग्राम जी साक्षात भगवान नारायण हैं।
उन्हें कभी भी तुलसी वृक्ष में नहीं रखना चाहिए। ससम्मान घर के मंदिर में विराजमान करना चाहिए। स्नान करके शुद्ध गाय के घी से मालिश करके, केसर, कपूर मिलाकर घिसा हुआ चंदन लगाना चाहिए। ऊपर तुलसी पत्र रखना चाहिए। फिर ताजा गर्म भोग लगाना चाहिए।
श्री राम कथा के जय विजय प्रसंग की चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि श्राप तीन जन्मों तक भोगना पड़ता है और आशीर्वाद से इक्कीस पीढियां तर जाती हैं। उन्होंने अभिमान व दंभ को जीवन का सबसे बड़ा शत्रु बताया।
नारद मोह का वर्णन करते हुए उन्होंने काम क्रोध मोह लोभ पर विजयी अभिमानी की बात करते हुए कहा कि कभी भी अपने हितेषी को पहचानने में भूल मत करना। जैसे मोहिनी स्वयंवर में स्वयं नारद ने नारायण भगवान को पहचानने में करी। सभी को अपने घर में रामायण रखना चाहिए। जिससे घर में आनेवाले सभी कष्ट दूर से ही चले जाते हैं।
महाराज जी ने बताया कि परमार्थ से बड़ा कोई धर्म नहीं होता। राम कथा एक कल्पतरु की छाया जैसा वृक्ष है। रामायण घर में रखने से दुख और भय दोनों ही समाप्त हो जाते हैं। रामचरित मानस कामधेनु गाय है। जिसका पाठ नियम से करने से तुरंत फल मिलता है।