राष्ट्रीय राजमार्ग पर फास्ट टैग अनिवार्य करना नागरिकों की स्वतंत्रता का हनन नहीं

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    FASTag पर बांबे हाई कोर्ट में केंद्र का हलफनामा

    मुंबई। केंद्र सरकार ने बांबे हाई कोर्ट को बताया है कि राष्ट्रीय राजमार्ग पर जाने वाले सभी वाहनों के लिए फास्ट टैग FASTag को अनिवार्य करना किसी भी तरह से नागरिकों के मूलभूत स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन नहीं है। पिछले हफ्ते केंद्र ने हलफनामा दायर करके हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका का जवाब देते हुए कहा जिसमें फास्ट टैग को चुनौती दी गई है। राष्ट्रीय राजमार्गो के टोल प्लाजाओं पर सभी वाहनों को फास्ट टैग (इलेक्ट्रानिक टोल कलेक्शन चिप) से गुजरना होता है।

    याचिकाकर्ता अर्जुन खानपुरे ने फास्ट टैग के नियमों का उल्लंघन करने वाले वाहनों पर जुर्माना लगाने के सरकार के मानकों को भी चुनौती दी है। हालांकि केंद्र सरकार ने अपने जवाब में कहा कि नेशनल हाईवे पर फास्ट टैग को अनिवार्य किया गया है, ताकि निर्बाध ट्रैफिक चलता रहे। साथ ही यात्रा में समय भी कम लगे और इसीलिए सारे निर्णय सेंट्रल मोटर वेहिकल (सीएमवी) रूल्स के तहत लिए गए हैं। केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में कहा कि फास्ट टैग से नागरिक अधिकारों की आजादी का हनन नहीं होता है। याचिकाकर्ता ने अपनी शिकायत में कहा था कि बिना फास्ट टैग वाली गाडि़यों को हाईवे पर नहीं जाने दिया जाता है।

    15 फरवरी, 2021 से फास्ट टैग अनिवार्य
    गौरतलब है कि 15 फरवरी, 2021 से सभी टोल पर फास्ट टैग अनिवार्य हो गया है। इस नियम के बाद अगर आपके वाहन में फास्टैग नहीं लगा होगा तो आपको टोल प्लाजा पार करने के लिए दोगुना टोल टैक्स या जुर्माना देना होगा। बता दें कि यह नई व्यवस्था टू-व्हीलर्स के लिए नहीं है। फास्टैग इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन तकनीक है, जैसे ही आपकी गाड़ी टोल प्लाजा के पास आती है, तो टोल प्लाजा पर लगा सेंसर आपके वाहन के विंडस्क्रीन पर लगे फास्टैग को ट्रैक कर लेता है। इसके बाद आपके फास्ट टैग अकाउंट से उस टोल प्लाजा पर लगने वाला शुल्क कट जाता है। इस तरह आप टोल प्लाजा पर रुके बगैर शुल्क का भुगतान कर पाते हैं।