कोटा। राजस्थान और मध्य प्रदेश में चना की फसल और अप्रैल में होने वाली आवक चना बाजार के लिये निर्णायक रह सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार, राजस्थान में झालावाड़, कोटा, बारां, सीकर, झुंझनू व पॉली बेल्ट में चना की फसल की स्थिति काफी अच्छी बतायी जा रही है, जबकि अजमेर, भीलवाड़ा, गंगानगर, चूरू, हनुमानगढ़ एवं टोक क्षेत्र में फसल की स्थिति खराब लग रही है। कुल मिलाकर राजस्थान में चना की फसल बीते वर्ष 20/21 लाख टन के मुक़ाबले चालू वर्ष में घटकर 15-16 लाख टन रहने के अनुमान मिल रहे है।
बाजार के जानकार विशेषज्ञों के अनुसार, देश के अन्य राज्यों में गुजरात में चना की फसल बीते वर्ष के 3.8/4 लाख टन के मुक़ाबले उछलकर 8.5/9 लाख टन पर पहुँचने का अनुमान है। जबकि महाराष्ट्र में बीते वर्ष के 15 लाख टन के मुक़ाबले उतपादन 20 लाख टन रहने के अनुमान है। इसी तरह मध्य प्रदेश में भी बीते वर्ष के 22 लाख टन के मुक़ाबले उत्पादन घटकर 18 लाख टन रहने के अनुमान है। उत्तर प्रदेश में उत्पादन बीते वर्ष के 3.50 लाख टन के आकड़े के आसपास रहने के अनुमान मिल रहे है।
दूसरी ओर, देश की प्रमुख चना उत्पादक मंडियों में स्टाकिस्टों द्वारा बड़ी खरीद की जा रही है। लेकिन, अब कमोडिटी मार्केट में नक़दी संकट निरंतर बढ़ने से स्टॉकिस्ट बड़ी ख़रीदादारी से पीछे हट रहे है। कोरोना के नये मामले तेज़ी से पुनः बढ़ने से राज्य सरकारें अपने स्तर से दिन के लोकडाउन के अलावा रात्रि कर्फ्यू और अन्य नियंत्रण आजमा रहे है, उसके कारण होटल, रेस्टोरेंट एवं स्ट्रीट फूड बाजार बंद होने की तैयारी । के चलते आगे आने वाली स्थितियों में चना की मांग घट सकती है।
जानकारों के अनुसार, अप्रैल माह के राजस्थान और मध्य प्रदेश की मंडियों में चना की आवक का दबाव कुछ बढ़ने के बाद कीमतों पर कुछ मामूली दबाव देखने मिल सकता है। दूसरी ओर, गुजरात व महाराष्ट्र के अलावा अन्य राज्यों में भी अप्रैल माह के दौरान आवक में बढोत्तरी में बढ़ जायेगी। दूसरी ओर, मार्च माह के दौरान छुट्टियां अधिक रहने के साथ साथ मार्च एंडिंग व होली के चलते मंडिया बंद रहने से चने की नई फ़सल की आवक सीमित ही रही।
जानकार मानते है कि एनसीडीईएक्स में जयपुर-बीकानेर लाइन के साथ साथ अकोला-इंदौर लाइन में चना का 40 हजार टन का स्टॉक हो चुका है। चना की कीमतें वर्तमान में बॉटम लेवल के आसपास मानी जा रही है हालाँकि, इन कीमतों में अब बड़ी मन्दी की उम्मीद नही की जा रही है। दूसरी ओर, चना बाजार में माँग रहने बड़ी तेजी का एक बड़ा कारण यह है कि रमजान की मांग है।
इसके अलावा अप्रैल माह में चना की आवक का प्रैशर बढ़ने के कारण तब कीमतें घटने पर सरकारी खरीद भी बढ़ने की उम्मीद है। इससे चना की बड़ी आपूर्ति सरकार के गोदाम में जायेगी। इससे बाजार में उस आपूर्ति का प्रैशर नही दिखाई देगा। इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए चना बाजार में अप्रैल में 100-150 रूपए प्रति क्विंटल की मंदी होने की आशंका है।