पेट्रोल-डीजल एवं गैस को GST में लाने का कोई प्रस्ताव नहीं: वित्त मंत्री सीतारमण

0
336

नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि पेट्रोल-डीजल, जेट ईधन (एटीएफ) व गैस को जीएसटी के दायरे में लाने का अभी कोई प्रस्ताव नहीं है। वित्त मंत्री के इस बयान के साथ ही जीएसटी के दायरे में पेट्रोल-डीजल को लाकर उनके दाम में कमी की तमाम चर्चा पर विराम लग गया। देश के कुछ हिस्सों में पेट्रोल के दाम 100 रुपये प्रति लीटर पहुंचने के बाद पेट्रोल व डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने की चर्चा जोर पकड़ने लगी थी। जीएसटी के दायरे में लाने पर केंद्र व राज्य पेट्रोल व डीजल के लिए अलग-अलग टैक्स नहीं वसूल पाएंगे। अभी इन पर राज्य वैट वसूलते हैं और केंद्र उत्पाद शुल्क लेता है।

सोमवार को लोक सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में सीतारमण ने कहा कि जीएसटी कानून के मुताबिक जीएसटी काउंसिल इस संबंध में फैसला करेगी। जीसएटी काउंसिल में राज्यों के भी प्रतिनिधि हैं। अभी तक काउंसिल ने इन वस्तुओं पर जीएसटी लगाने का कोई प्रस्ताव नहीं रखा है। उन्होंने कहा कि सही समय आने पर सभी प्रकार के राजस्व पर होने वाले असर को ध्यान में रखते हुए काउंसिल इन वस्तुओं को जीएसटी में लाने पर विचार कर सकती है।

एक साल पहले केंद्र सरकार पेट्रोल पर 19.98 रुपये प्रति लीटर का उत्पाद शुल्क वसूलती थी। अभी सरकार 32.9 रुपये वसूलती है। वहीं डीजल पर उत्पाद शुल्क 15.83 रुपये से 31.8 रुपये हो गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि केंद्र व राज्य दोनों ही अपने-अपने टैक्स को कम कर पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमत से राहत दे सकते हैं। फिलहाल कच्चे तेल के अंतराष्ट्रीय दाम में बढ़ने से पेट्रोल-डीजल की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर हैं। हालांकि एक पखवाड़े से पेट्रोल-डीजल की खुदरा कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ है।

कुछ सप्ताह पहले वित्त मंत्री ने कहा था कि पेट्रोल व डीजल पर शुल्क में कटौती को लेकर केंद्र व राज्य दोनों को मिलकर फैसला करना होगा। पेट्रोल व खास कर डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी से महंगाई में तेजी की आशंका जाहिर की जा रही है जो विकास में बाधा हो सकती है।

इसी बीच लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि केंद्र सरकार पेट्रोल-डीजल पर टैक्स कम करने के प्रस्ताव पर विचार को तैयार है। राज्यों को भी इस पर सोचना चाहिए। इनकी कीमतों को जीएसटी के दायरे में नहीं लाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि किसी भी राज्य ने ऐसा प्रस्ताव नहीं दिया है। राज्य चाहें तो केंद्र को इस पर विचार में कोई आपत्ति नहीं है।

विनिवेश से होगा क्षमता का पूर्ण दोहन
विनिवेश से जुड़े एक अन्य प्रश्न पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि निजी क्षेत्र के बेहतर प्रबंधन एवं नवीनतम टेक्नोलॉजी से सार्वजनिक उपक्रमों की पूरी क्षमता का दोहन हो सकेगा। इससे अर्थव्यवस्था को फायदा होगा। इस संबंध में एक अन्य प्रश्न पर वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि रणनीतिक विनिवेश की प्रक्रिया में सरकार रोजगार एवं अन्य प्रभाव का ध्यान रखेगी। इसमें ध्यान रखा जाएगा कि लोगों का रोजगार न छिने और उन्हें सभी सुविधाएं यथावत मिलती रहें।